चेन्नई. अयनावरम जैन भवन में विराजित साध्वी नेहाश्री ने कहा कन्फ्यूजन और क्लियर पर अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि जहां संदेह है वहां बाधा होती है और जहां स्पष्टता होती है वहां शांति होती है। जो धार्मिक होते हैं उन्हें संतोष में सुख मिलता है।
धार्मिक व्यक्ति सम्पत्ति की बढोत्तरी में संतुष्ट नहीं होता, उसे संपत्ति को छोडऩे में सुख और संतोष की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा सुख बाहर में नहीं बल्कि आत्मा में है। संतों के पास कुछ भी नहीं होते हुए भी आनंदित रहते हैं क्योंकि भ्रम और संदेह से वह दूर रहते हैं।
उनके पास तथ्यों की स्पष्टता होती है। भगवान की वाणी सुनने के बाद अगर हमारी श्रद्धा भगवान पर नहीं है तो इसका मतलब हुआ कि हमारी भ्रम दशा है। जिन्होंने सही दिशा समझ ली वे संसार से किनारा पा लेते हैं।