चेन्नई. एएमकेएम में विराजित साध्वी कंचनकुंवर व साध्वी डॉ.सुप्रभा ‘सुधाÓ के सानिध्य में साध्वी डॉ.उदितप्रभा ‘उषाÓ ने कहा कि जैसा बीज बाएंगे वैसा ही फल, फूल प्राप्त होंगे। भावनाओं के कड़वे बीज होंगे तो विचार, वाणी, व्यवहार सभी कड़वे होते चले जाएंगे। शुभ भावों से आभामंडल निर्मल और व्यवहार, वाणी भी निर्मल होंगे।
दान आदि से पुण्यार्जन कभी-कभी किया जा सकता है, लेकिन शुभ भावों से मन, वचन काया और नमस्कार द्वारा पुण्य का उपार्जन लगातार होता रहता है। साथ में रहकर ईष्र्या, द्वेष और मन में दुर्भावना रखेंगे तो पाप होता रहता है। जहां सद्भावना है वहां धर्म विराजमान रहता है। इस प्रकार वर्तमान में जीनेवाला व्यक्ति जीवित स्र्वगसमान आनन्दमय जीवन प्राप्त करता है।
भविष्य उज्जवल बनाना है तो मन में से शुभभाव बीज बोएं। प्रभु कहते हैं- जो ज्ञान, ध्यान, शुभभाव में समय व्यतीत करते हैं, निश्चित ही केवलज्ञान, परमात्मपद प्राप्त कर सकता है। हर पल विचारों और भावों की शुद्धि रखें। भावदशा सुधरेगी तो शुभकर्म अनुबंध होगा और आगे की गति अच्छी होगी।
साध्वी डॉ.इमितप्रभा ने स यकत्व के ६७ बोल में से यतना और भावना के बारे में बताया कि जीव को पुण्य से ही अनुकूलताएं, सुख-दुख मिलता है। जड़ पदार्थों का कितना ही ध्यान रख लें उससे पुण्य नहीं मिलता। उनकी सुरक्षा के लिए कितने ही ताले लगाते हैं लेकिन वे साथ नहीं जाते। प्रभु महावीर ने आत्मा के तीन रत्न स यक ज्ञान, दर्शन और चारित्र बताए हैं, इनका कोई बंटवारा नहीं कर सकता। प्रभु ने इनकी सुरक्षा के लिए छह यतना- आलाप, संलाप, मान, दान, वंदना और नमस्कार बताए है।
इनका ध्यान रखेंगे तो समकित चोरी नहीं होगा। जो मिथ्यादृष्टि और बार-बार बात बदलते हैं उनसे दूर रहें। उनका संग और परिचय ज्यादा न करें। हमारा प्रयास रहे कि लौकिक व्यवहार में भी परिवारजनों की संगत मिथ्यादृष्टि की नहीं रहे, तो जीवन पतन से बचेगा। जो नैतिकता और धर्म में नहीं चल रहा उसका स मान न करें। दान भी देना पड़े तो अनुकंपा भाव से ही दिया जाए।
वंदन-नमस्कार नहीं करना। मस्तक शरीर का उत्तम अंग है जो सुदेव, सुगुरु, सुधर्म के सिवा हर किसी के सामने या जीवन का पतन करनेवालों के सामने नहीं झुके। इन छह यतना का ध्यान रखने से स यकत्व सुरक्षित रहेगा। शुद्ध भावना के बिना ज्ञान, तप और आराधना सफल नहीं होती। समकित की मजबूत नींव पर ही साधना की विशाल इमारत खड़ी हो सकती है। साधना में समकित का महत्व द्वार के समान है।
चातुर्मास समिति के मंत्री शांतिलाल सिंघवी ने चातुर्मासकाल में अपना सहयोग देनेवालों के प्रति आभार व्यक्त किया। कल्याण चोरडिय़ा, अ बर, रीत ने भजन से अपने भाव रख। आवास निवास समिति, गोचरी समिति, भोजन समिति, प्रवचन समिति, तपस्या पारणा समिति, एएमकेएम महिला मंडल, विहार समिति, टीम सिद्धा, अन्य समितियों के पदाधिकारी, कार्यकर्ताओं का माला और प्रतीकचिन्ह से स मान किया।
मुकनचंद, संतोषबाई श्रीश्रीमाल ने शीलव्रत ग्रहण किया जिनका समिति द्वारा स मान किया गया। रोल द कर्मा के विजेताओं कोशिका, हर्षित, शिया घोड़ावत को पुरस्कार दिया गया। महिला मंडल मंत्री विमला चोरडिय़ा ने अपनी भावाभिव्यक्ति में भजन प्रस्तुत किया जिनकी सेवाभावना और समर्पण, श्रद्धा की अनुमोदना करते हुए साध्वी डॉ.उदितप्रभा ‘उषाÓ व साध्वी डॉ.इमितप्रभा ने सराहना की।
उड़ान टीम के छोटे-छोटे बच्चों द्वारा भिक्षु दया का कार्यक्रम हुआ। रोल द कर्मा के विजेताओं कोशिका, हर्षित, शिया घोड़ावत को पुरस्कार दिया गया। धर्मसभा में अनेकों उपनगरीय स्थानों से श्रद्धालु उपस्थित रहे। उत्तर दिशा में चौदह लोगस्स की सामूहिक साधना करवाई गई।
11 नव बर को महासतीवंृद के प्रति चातुुर्मास समिति द्वारा कृतज्ञता-आभार ज्ञापन समारोह आयोजित होगा। 12 नव बर को लोकाशाह जयंती मनाई जाएगी और 13 नव बर को प्रात: भक्तामर पाठ के बाद 7.30 बजे अर्चना सुशिष्यामंडल का विहार विजयराज चोरडिय़ा, चंदनबाला अपार्टमेंट स्थित निवास पर होगा। 16 नव बर को मईलापुर संघ के तत्वावधान में पू.मिश्रीमल महाराज का स्मृतिदिवस मनाया जाएगा।