चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा कि संसार में जो कुछ भी है सत्य के ऊपर आधारित है। जब तक सत्य है तब तक सुख है। सत्य के समाप्त होते ही सुख की तलाश शुरू होगी।
जहां सत्य का अभाव होगा वहाँ दुख बढ़ेगा। भगवान महावीर कहते हैं जहां सत्य है वही भगवान है। सत्य ही धर्म और सत्य ही कर्म है। सत्य के मार्ग पर चलोगे तो जीवन में सुखी रहोगे। सत्संग में जाओगे तो सत्य के मार्ग पर चलने की सलाह मिलेगी। बिना सत्य के मार्ग पर चले जीवन का कल्याण नहीं हो सकता।
साध्वी समिति ने कहा कि सोलह सतियों के जीवन चारित्र के वर्णन के साथ हम सब आगे बढ़ रहे हैं। आगे बढ़ते हुए खुद में बदलाव को भी देखना चाहिए। उनके जैसे सम्यकत्व की प्राप्ति की कामना के साथ आगे बढ़ रहे हैं तो खुद को तराश लेना चाहिए। अगर खुद में बदलाव नहीं दिख रहा है तो उसके कारण को समझने की जरूरत है। अगर वजह नहीं पता चलेगी तो जीवन में बदलना संभव नहीं हो सकता हैं।
उन्होंने कहा कि बदलाव होना कठिन नहीं होता लेकिन उसके लिए अपनी गलती को स्वीकार करना चाहिए। जीवन में बदलाव चाहिए तो स्वीकार करना सीखें। संसार में रहोगे तो दुखों को झेलना ही पड़ेगा। दुख से निकलना है तो संसार को त्याग कर सतियों जैसे संयम के मार्ग पर बढ़ जाना चाहिए। अपनी गलतियों पर पछताने से कुछ नहीं मिलेगा।
अगर पछताने के जगह उसमें बदलाव करने का प्रयास किया जाए तो गलती में सुधार हो सकता है। संयम के मार्ग पर थोड़ा कष्ट तो होगा लेकिन विफलता नहीं मिलेगी। जो इन मार्गो पर बढ़ेंगे उनका कल्याण हो जाएगा। उपाध्यक्ष सुरेश कोठारी ने बताया कि 20 तारीख को आचार्य शिवमुनि की जन्म जयन्ती तप त्याग व धर्म आराधना के साथ मनाई जाएगी। धर्मसभा में अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।