चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित साध्वी कंचनकंवर ने कहा महापुरुष हमें जिनवाणी सुनाते हैं, हर बात समझाते हैं लेकिन समझते नहीं है। अपनी मोहनिद्रा से जागें, 18 पापस्थानों को छोड़ मिथ्यात्व के अंधकार से सम्यकत्व की रोशनी में आओ।
पर्यूषण दस्तक दे रहा है, जाग्रत कर रहा है। जो प्रमाद के साथ सोता है वह आत्मरूपी मार्ग खो देता है। आश्रव का घर बंद कर संवर के घर के घर में आना है, नहीं तो क्रोध, मान, माया, रूपी लुटेरे आत्मारूपी धन को लूट लेंगे।
अनन्त पुण्यों से दुर्लभ मानव जन्म मिला है इसे प्रमाद में न गंवाएं। सभी सांसारिक सुख भी दुखों से मिश्रित हैं। चक्रवर्ती के सुख में भी नरक के दुख का सागर लहरा रहा है। जहां जन्म, वहीं मृत्यु की चिंगारी है। जहां संयोग का सुख है, वहीं वियोग का दुख है।
साध्वी डॉ. इमितप्रभा ने कहा आत्मा के साथ अनादि काल से चार प्रकार की इच्छाएं रहती हंै, इन्हें जीव जन्म से ही सीख जाता है, उसे सिखानी नहीं पड़ती है। ये उसके जन्मों-जन्मों से पड़े संस्कारों के कारण है। पहली है-जिजीविषा या जीने की इच्छा। मानव ही नहीं सभी देहधारी प्राणियों में यह होती है।
दशवैकालिक सूत्र में कहा गया है कि सभी जीव जीना चाहते हैं मरना कोई नहीं चाहता। इसलिए हे साधक तुम किसी की भी हिंसा मत कर। दूसरा है विपसा या विस्तार पाने की इच्छा। यह एकमात्र मानव ही चाहता है। उसकी इच्छाएं अनन्त हैं। नाम, पद, प्रतिष्ठा, धन की चाहना बढ़ती जाती है।
गलत रास्ते पर जाकर भी उससे पुन: लौट आना ही साधना है। प्रभु ने कहा है आपसे छोटा भी यदि हित की बात कहे तो जरूर मानना चाहिए, दुराग्रह नहीं करना चाहिए। जिस प्रकार कीचड़ में पड़ा हीरा भी मूल्यवान है। 27 अगस्त से पर्वाधिराज पर्यूषण के अवसर पर प्रात: 8.30 से अंतगड़ सूत्र का वाचन के बाद प्रवचन होंगे।
मध्यान्ह में कल्पसूत्र वाचना और इस पर प्रतियोगिता होगी। पर्यूषण दौरान पंचरंगी, नवरंगी, दया, आयंबिल, उपवास विविध प्रकार के तप किए जाएंगे। सिद्धितप के अंतिम दिन का समापन होगा। पर्यूषण पर अखंड नवकार महामंत्र का जाप किया जाएगा।