दुर्ग /श्रमण संघ के उपाध्याय प्रवर श्री प्रवीण ऋषि जी महाराज की जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब दुर्ग में अध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला चल रही है और लोग धर्म सभा मैं प्रवचन का आनंद ले रहे हैं। देशभर के जैन समाज के लोग भी यूट्यूब और फेसबुक के माध्यम से उनके लाइव प्रवचनों का श्रवण कर रहे हैं।
जहां सभी जीतते हैं जहां कोई नहीं हारता उस कुल को जिनेश्वर का कुल कहते हैं।
जब हम किसी को हराकर जीतते हैं तो हारने वाले के मन में दिल में एक गांठ बन जाती है। जो जीवन पर्यंत नहीं खुलती संपूर्ण विश्व में सभी जीव सुखी रहें। मानव जीवन सुखी रहे पूरे विश्व में अहिंसा का वातावरण बने आज पूरी दुनिया में इस मार्ग की महती आवश्यकता है।
सोच को सच करने के लिए पुरुषार्थ की आवश्यकता है उपाध्याय प्रवर ने कहा जहां एक दूसरे के दुखों को जगाया जाता है। जहां दूसरों के दुखों को बढ़ाया जाता है वही नरक है जीवन में दुखों के साथ ऐसा करेक्शन करो कि उसका रिएक्शन ना हो।
अपने द्वारा की गई गलतियों को सुधारने से ही घर को स्वर्ग बनाया जा सकता है जब आपस के रिश्ते मैं तनाव होते हैं उन्माद होते हैं तब रिश्ते फेल होते हैं। यही फेल रिश्ते जीवन में परिवार में समाज में देश में असर नकारात्मकता के साथ इस रिश्तो का असर देखा जा सकता है।
उपाध्याय प्रवर ने कहा ठोकर लगते ही हमें मां की याद आ जाती है और अचानक सांप देखते ही बाप की याद आ जाती है। परिवार में हमेशा खुशनुमा माहौल बनाए रखने के लिए पारिवारिक सदस्यों के बीच हर चीज का हर बातों का स्पष्ट रूप से हर बातें खुली किताब की तरह रहनी चाहिए। जिससे परिवार के सदस्य उसे स्पष्टता से स्वीकार करने की भाव अपने अंदर जागृत रख सके। आज इस बात के आभाव ने पारिवारिक सदस्यों के बीच दूरी बनाकर रख दी है की परिवार में सबसे बड़ा गुनाह इसी छिपने और छिपाने की गतिविधियों के कारण परिवार में अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। जहां बातें समझ नहीं आती वहां बड़ों का ,अपनों का स्पर्श काम आता है।
उपाध्याय प्रवर के सानिध्य में सकल जैन समाज के बैनर तले सेवा, शिक्षा और विकास के उद्देश्य से गौतम लब्धि निधि का संयोजन किया जा रहा है। यह योजना 18 जनवरी को इस दुर्ग शहर में प्रारंभ होने जा रही है जिसमें दुर्ग जैन समाज के सभी वर्ग संप्रदाय के लोग इस योजना में शामिल होंगे।
इस योजना में शामिल होने वाले प्रत्येक जैन परिवारों में एक कलश का वितरण किया जाएगा। प्रत्येक परिवार के सदस्य इस कलश में प्रतिदिन अपना अर्थ संग्रह समर्पण करेंगे और एक गिरधारी निर्धारित समय तिथि पर यह राशि संग्रहित की जाएगी। यह राशि जरूरतमंद जैन परिवार के सदस्यों को उनकी आवश्यकता अनुरूप राशि वितरित की जाएगी।