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ज्ञान वाणी

जहाँ गुस्सा वहाँ नरक, जहाँ क्षमा वहाँ स्वर्ग – राष्ट्र-संत ललितप्रभ

जहाँ गुस्सा वहाँ नरक, जहाँ क्षमा वहाँ स्वर्ग – राष्ट्र-संत ललितप्रभ
सूरत। राष्ट्र-संत महोपाध्याय ललितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि क्षमा मांगना और क्षमा करना ये दुनिया के दो सबसे बड़े धर्म है। जो गलती होने पर क्षमा मांग लेता है और दूसरों से गलती हो जाने पर क्षमा कर देता है वह सच्चा धार्मिक कहलाता है।
उन्होंने कहा कि जो गलती करके सुधर जाए उसे इंसान कहते हैं, जो गलती पर गलती करे उसे नादान कहते हैं, जो उससे ज्यादा गलतियाँ करे उसे शैतान कहते हैं, जो उससे भी ज्यादा गलतियाँ करे उसे पाकिस्तान कहते हैं, पर जो उसकी भी गलतियाँ माफ कर दे उसे ही हम अपना हिन्दुस्तान कहते हैं। उदाहरण से समझाते हुए संतप्रवर ने कहा कि एक महिला मंदिर में पूजा पाठ करके, संतों के यहाँ धर्म-आराधना, सत्संग-प्रवचन करके घर आई और देखा कि बहू के हाथ से अचार का डब्बा फूट गया।
उसे गुस्सा आ गया और बहू को मन में आए जैसा कहने लगी। वहीं दूसरी ओर एक महिला मंदिर जा न पाई, सत्संग सुन न पाई, पर बहू के हाथ से अचार का डब्बा फूट जाने पर उसे माफ कर दिया। हम खुद सोचें कि असली धार्मिक महिला कौन-सी है? उन्होंने कहा कि हम केवल उम्र से नहीं, वरन् हृदय से भी बड़े बनें और औरों की गलतियाँ माफ करने का बड़प्पन दिखाएँ। अगर हम किसी की एक गलती माफ करेंगे तो भगवान हमारी सौ गलतियों को माफ कर देगा।
संत ललितप्रभ रविवार को सत्संगप्रेमियों से खचाखच भरे साकेत टेक्सटाइल मार्केट परिसर, आईमाता चैक के पास, पर्वत पटिया में क्रोध छोडने के शर्तिया तरीके विषय पर संबोधित कर हरे थे। उन्होंने कहा कि गुस्सा और अहंकार जीवन को नरक बनाते हैं जबकि प्रेम और क्षमा जीवन को स्वर्ग। जो गुस्सैल होते हैं, उनके घरवाले उनके घर से बाहर जाने की प्रतीक्षा करते हैं जबकि जो मीठे-मधुर स्वभाव के होते हैं उनके घरवाले उनके घर में आने की प्रतीक्षा करते हैं।
चुटकी लेते हुए संतप्रवर ने कहा कि अगर पति गुस्सा करेगा तो पत्नी सुबह 9 बजते ही घड़ी देखेगी कि अभी तक ये गये क्यों नहीं और अगर पति शांत स्वभाव का होगा तो पत्नी शाम को 6 बजे घड़ी देखेगी कि अभी तक ये आये क्यों नहीं। अगर हमारे घर आने से घरवाले दुखी होते हैं तो समझना हमारा जीवन व्यर्थ है और हमारे आने से घरवाले खुश होते हैं तो समझना हमारा जीवन धन्य है।
गुस्सा औरों को नहीं खुद को जलाता है – संतप्रवर ने कहा कि गुस्सा करना दियासलाई जलाने की तरह है। दियासलाई से और कोई जले न जले, पर वह खुद तो जल ही जाती है। गुस्सा औरों द्वारा की गई गलती से खुद को सजा देना है।
सावधान, आपका पल भर का गुस्सा आपके पूरे भविष्य को चैपट कर सकता है। 2 मिनट का गुस्सा हमारे 20 साल के संबंधों पर पानी फेर देता है, रिश्तों को मिठास से खटास में बदल देता है और जीवन की सारी खुशियों में आग लगा देता है। उन्होंने कहा कि छोटी-सी तो जिंदगी है जब प्यार करने के लिए भी पूरा वक्त नहीं मिलता तो हम गुस्सा करके क्यों इसे और छोटा करें। 
क्रोध छोडने के बताए शर्तिया तरीके-संतप्रवर ने क्रोध छोडने के शर्तिया तरीके बताते हुए कहा कि गुस्से को सहजता से लें। कोई हम पर गुस्सा करे तो हम मुस्कान से उसे टाल दें या फिर मुस्कुराकर जवाब दें। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पत्नी कभी तैश में आकर आपको कह दे कि तुम तो जानवर हो तब भी गुस्सा मत खाना और मुस्कुराते हुए जवाब देना कि तूने एकदम सही कहा – तू मेरी जान, मैं तेरा वर मिलकर दोनों बन गए जानवर।
उन्होंने कहा कि पत्नी कभी गुस्से में आकर कहे कि मैं तो पीहर जा रही हूँ तब आप झट से कहना – जरूर जा, तू पीहर चली जा, मैं ससुराल चला जाऊँगा और बच्चों को ननिहाल भेज दूँगा। हर माहौल में मिठास घोल देना इसी का नाम जिंदगी की जीत है। उन्होंने कहा कि जब भी गुस्सा आए उसे तीस मिनट बाद करें।
अपने आप गुस्सा ठण्डा हो जाएगा। बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ रहा हो तो चैघडिया देखकर कर लें। कालसर्पयोग में भी हम प्रेम करेंगे तो वह अमृतसिद्धि योग बन जाएगा और अमृतसिद्धि योग में भी गुस्सा करेंगे तो वह कालसर्पयोग बन जाएगा। उन्होंने कहा कि गुस्से के बाद कभी भी बोलचाल बंद न करें। बचपन में हजार बार लड़ते थे तो भी रिश्ता खतम नहीं होता था, आज दो बार लडने की भी नौबत नहीं आती क्योंकि पहली लड़ाई में ही रिश्ता खतम हो जाता है।
अगर गुस्से में कुछ कहना जरूरी हो तो थोड़े से शब्दों में अपनी बात कह दें। अंतिम तरीका बताते हुए संतप्रवर ने कहा कि सदा प्रेम से भरे रहें। हम जितना बाहर के लोगों से प्रेम से पेश आते हैं उतना ही घरवालों से भी प्रेम से पेश आए तो कभी गुस्से का माहौल बन ही नहीं पाएगा। याद रखें, कुत्ता तो अपरिचितों पर ही भौंकता है, हम ठहरे इंसान जो घरवालों पर भी भौंकना शुरू कर देते हैं।
प्रवचन से प्रभावित होकर सैकड़ों महानुभावों ने सप्ताह में एक दिन क्रोध का उपवास करने का संकल्प लिया।
इससे पूर्व डाॅ. मुनि शांतिप्रिय सागर ने सभा को संबोधित किया। अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित किया। पाठषाला की बालिकाओं ने भाव नृत्य प्रस्तुत किया।
सोमवार को होंगे प्रवचन कार्यक्रम-संयोजक बाबूलाल संखलेचा ने बताया कि सोमवार को भी राष्ट्र-संतों के सुबह 9.30 बजे साकेत मार्केट में प्रवचन कार्यक्रम आयोजित होंगे।

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