Share This Post

Featured News / Featured Slider / Khabar

जयमल जयन्ती का द्वितीय दिवस गुप्त दान दिवस

जयमल जयन्ती का द्वितीय दिवस गुप्त दान दिवस

रायपुरम जैन भवन में विराजित पुज्य जयतिलक जी मरासा ने बताया कि संसारी जीवों के दो प्रकार के उदाहरण है = एक है शलेष्य पर बैठने वाली मक्खी जो उड़ना चाहे तो उड़ नहीं सकती एक होती है सुखे गुड़ पर बैठने वाली जो उड़ना चाहे तो उड़ सकती है। वैसे ही संसार में आसक्त जीव शलेष्य के मक्खी की तरह फंसा रहता है अपना पूरा जीवन उसीमें आसक्त हो कर रहता है! किन्तु जो अनोसक्त जीव होते है वे जब छोड़ना चाहे वैसे ही संसार को छोड़ देते हैं।

पुज्य जयमल जी भी साधारण संसारियों के भांति ही जन्म हुआ ! किंतु अपनी अनासक्ति से सिर्फ एक बार प्रवचन सुना! उसके पूर्व धर्म कर्म, पाप पूण्य कुछ भी पता नहीं था। किंतु पुण्यवाणी थी कि बिना सोचे बिना चितन के संसार छोड़ दिया। उनके भी घर परिवार, पत्नी, मित्र आदि थे। सूरज कुमार अमरसिंह थे! उन्हे वन्दन करने का ज्ञान नहीं था। साधारण नमस्कार किया तो आचार्य भुधरजी ने भी चलते प्रवचन में युवक जयमल को दया पालो का आर्शीवाद दे दिया ! सारे श्रावक पीछे – देखने लगे यह कौन खास है जो गुरुदेव आर्शीवाद दे रहे हैं पता चला कि कामदार मोहनदास के पुत्र थे!

जयमल शिष्टाचार का पालन करते हुए पीछे ही बैठ गए। प्रवचन पूरा हुआ! किंतु जयमल के मन में चिंतन चल रहा था आज तक ऐसा आर्शीवाद किसी ने नहीं दिया। एक शब्द का चिंतन भी भावधारा को मोड देता है गुरुदेव हमेशा दया पालो का उपदेश देते है। दया किसके उपर पालनी है यह ज्ञान चाहिए। “दया” शब्द धर्म का सुचक है। संसार में 14 रजुलोक में जीवों को अभय देता है। जयमल जी म.सा ने एक मात्र प्रवचन सुना जिसमें 12

व्रतधारी सुदर्शन श्रावक का वर्णन था। बिना प्रयोजन कुछ भी कार्य नहीं करना जिसमे संवर हो जाता है संसार में अनासक्त कार्य बहुत होते हैं। आज जयमल जयन्ती का द्वितीय दिवस गुप्त दान दिवस के रूप में मनाया गया। अनेक लोगों ने इस अवसर पर गुप्त दान किया। मधु जी बोहरा द्वारा पर्युषण पर्व में सेवाएं देने के लिए चंदनबाला महिला मण्डल द्वारा चुनरी और माला से अभिनंदन किया गया। नमिता स॑चेती ने जयमलजी म सा के जीवन का वर्णन दिया।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar