हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान हैl वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं, वह इस प्रकार हैंl
पहला स्टेप बोलने की कला वाला मंत्र जब भी बोलो अदब से बोलो पत्नी को भी आप कहो हो सकता है आप लोग कब तक तुम कहते रहे थेl
जो कहा सो का अभी ठीक कर ले अपनी कुलि नता की बात लिख ले फिर खुद को ठीक कब करेंगे कोई मुहूर्त निकाल कर ठीक करेंगे या जागे तभी सवेरा होगाl दूसरा स्टेप जब भी बोले पूरे आत्मविश्वास के साथ बगैर किसी डर या झिझक केअपनी बात को कहना आत्मविश्वास हैl
आत्मविश्वास जगाने के लिए शोले फिल्म के डायलॉग याद रखना जो डर गया सो मर गयाl डायलॉग सभी के बहुत काम आता है विश्वास जीवन का सबसे बड़ा मूल्य तत्व हैl जब तक जिगर में श्वास तब तक रखो आत्मविश्वास अपने आप पर यकीन रखो कि मैं गलत नहीं होता हूंl मैं गलत नहीं बोलता हूं मैं गलत नहीं सोचता हूं गलत व्यवहार नहीं करता हूंl
फिर डर किस बात का जो डर गया सो मर गया ाहे भाषण देना हो या इंटरव्यू बोलते समय अपने पर आत्म विश्वास होना चाहिएl तीसरी बात तीसरा स्टेप हम अपने वाणी में दूसरों की प्रशंसा करने की आदत डालें जब भी बोलना है हमेशा सामने वालों की पीठ थपथपाते हुए बुलाई याद रखें चिट्ठी की भी घर पर तब जब आओगे तो वह पर ना कुछ होते हुए भी सड़क तो क्या पूरा पहाड़ लांग जाएगी कमजोर की बैठक तो पाओगे तो आपअपने आप मजबूत हो जाएंगेl
बस तब तक यह तारीफ कीजिए चौथा एस्टेट जब भी बोलो हमेशा श्रेष्ठ बुद्धि का इस्तेमाल करो जब भी बोलने का मौका है तो मन में आए उसे मत देना हमेशा अपने सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए बोलेगाl क्योंकि हमारी वाणी नहीं हमारी बुद्धि की आत्मा छिपी होती हैl हमारी वाणी के द्वारा ही पता चलता है कि आदमी कितना बुद्धिमान है और कितना बुद्धू हैl बुद्धि का इस्तेमाल हमेशा अच्छे से कीजिएगाl मिठास से बोलना और बोधपूर्वक बोलना संसार का सबसे अच्छा वशीकरण मंत्र हैl जब भी बोलो संभलकर बोलो श्रेष्ठ बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए बोलोl
पांचवी बात बोलते समय किसी की खिल्ली नहीं करेगी किसी का अपमान नहीं करें किसी की निंदा नहीं करें किसी की आलोचना भी नहीं करेंl क्योंकि आज हम उसका उपहास करेंगे तो कल कोई हमारा भी उपहास कर सकता हैl आज हम किसी का मजाक उड़ाएंगे तो कल हमारा भी मजाक बन सकता हैl हमें आगे जरूर पढ़ना है परंतु किसी की टांग खींचकर नहीं बढ़ना हैl छठा स्टेप किसी के लिए कभी गाली गलौज नहीं करनाl
किसी का जीव नहीं दुखाना हमेशा मीठे वचन बोलना मिठास से सभी को वश में किया जाता हैl कड़वाहट से नीम करेला ही कहलाओगे सातवी बात जो भी मुंह से शब्द निकालो उस शब्द को मूल्य दो शब्द ही साधना हैl शब्द ही पूजा है शब्द ही धर्म है जब भी मर्यादा हैl इसलिए अपने मुंह से शब्द निकलते वक्त संकल्प कीजिए मैं किसी का दिल नहीं दूंगा एवं अपने धर्म पर अडिग होगा यह जीवन जीने की कला हैl
जय जिनेंद्र जय महावी, कांता सिसोदिया, भाईंदर🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷