तीन दिवसीय जयमल जन्मोत्सव शुरू
चेन्नई. जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में वेपेरी स्थित जय वाटिका मरलेचा गार्डन में आचार्य जयमल के 312वें जन्मोत्सव पर तीन दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन सामूहिक जय जाप और रक्तदान शिविर का आयोजन हुआ। इस मौके पर जयधुरंधर मुनि ने सवेरे मंगल पाठ के साथ 13 घंटे के अखंड जाप की शुरुआत की। जाप में 3000 से अधिक श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।
मुनि ने कहा वैदिक वांग्मय में वर्णित भक्ति योग, ध्यान योग और कर्म योग में भक्ति का मार्ग सबसे सीधा, सरल और सहज मार्ग होता है। अपने आराध्य के प्रति समर्पित भक्त की भक्ति में गुरु की शक्ति स्वत: ही जुड़ जाती है। गुरु कृपा से ही जीवन में उन्नति और प्रगति प्राप्त हो सकती है। भक्ति पूर्वक किए गए जाप से आधि, व्याधि, उपाधि से छुटकारा पाते हुए मानसिक शांति की अनुभूति की जा सकती है। जप-जाप करने से सारे ताप और संताप मिट जाते हैं।
जाप उस कामधेनु एवं कल्पवृक्ष के समान हैं, जिससे सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण हो जाते हैं। महापुरुषों की स्तुति में रचित किसी भी मंत्र या रचना का घंटों जाप करते रहने से वचन सिद्धि के साथ भाव शुद्धि भी होती है। संसार से मन को मोडऩे और प्रभु से उसका नाता जोडऩे के लिए स्तुति एक बहुत सुंदर आलंबन होता है।
मुनि ने कहा स्तुति एवं भक्ति निष्काम होनी चाहिए। स्वार्थ पूर्ति एवं फल की आकांक्षा के साथ की हुई श्रुति नगण्य गिनी जाती है। मुनि ने जय जाप की नौ कडिय़ों का विस्तार से अर्थ समझाया।
जयपुरंदर मुनि ने कहा जाप के तीन प्रकार होते हैं भाष्य, उपांशु, और मानस जाप। सामूहिक उच्चारण के साथ किए गए भाष्य जाप के प्रभाव से संपूर्ण वातावरण धर्ममय बन जाता है। जाप में प्रयुक्त शब्दों के संयोजन से उत्पन्न ध्वनि के फलस्वरुप पुद्गलों का शुद्धिकरण हो जाता है। त्याग के परिणाम से होने वाले पौदगलिक परिनमन से अनेक आश्चर्यकारी घटनाएं भी स्वत: ही घटित हो जाती है।
चमत्कार के लिए नहीं अपितु आत्मा के साक्षात्कार के लिए जप-जाप किया जाना चाहिए। जाप के साथ आस्था, समर्पण, श्रद्धा, भक्ति का अर्ध्य भी अर्पित करना चाहिए। कार्यक्रम में ललिता कोठारी, संतोष गादिया, तारा कांकरिया, राकेश भंसाली, आकाश बोकाडिया, जयेश तातेड, शांतिलाल लूंकड़, गौतमचंद चौरडिया, किशनलाल मरलेचा, मनोहर लोढा, उत्तमचंद बोकडिया का सहयोग रहा।