पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के अन्तर्गत आज छठा दिवस जप दिवस के रूप में मनाया गया । इस अवसर पर मुनि मोहजीत कुमारजी ने फरमाया कि जपशक्ति जागरण, विघ्नशमन और मनोबल के विकास का साधन है। जप शरीर, मन और विचार तन्त्र को प्रभावित करता है। जप शब्द की मीमांसा करते हुए मुनि ने कहा- ज से जन्म का विच्छेद और प से पापों का नाश होता है। जप का प्रयोजन आत्माराधना के लिए है। व्यक्ति मंत्र जप के माध्यम से जब गहराई को छु लेता है, स्वयं का आत्मसात कर परम आस्था की पराकाष्ठा पर पहुच जाता है तब मंत्र हमें दिव्य शक्ति प्रदान कराता है।
मंत्र क्या है, मंत्र का अर्थ क्या , कोनसा मंत्र किस दिशा करना चाहिए, उसका समय क्या होगा आदि का विवेचन करने के साथ कहा कि मंत्र जप हमारे प्राण शक्ति को बढ़ाता है। एक नवकार महामंत्र में अनेकों मंत्र समाहित है। जप दिवस पर अनेकों मंत्रो की जानकारी दी। मंत्र को प्रभावी बनाने के लिए बताया कि जप करते समय एक समय, एक स्थान , एक दिशा, एक मुद्रा, एक माला ओर एक मंत्र का जप करने से विशिष्ट लाभ प्राप्त होगा। जप दिवस के संदर्भ में मुनि भव्य कुमार ने गीत का संगान करते हुए जप की महत्ता पर प्रकाश डाला। मुनि जयेश कुमार ने तीर्थंकर परम्परा के 22 वें तीर्थंकर भगवान अरिष्टनेमि के जीवनप्रसंग को सरसता के साथ प्रस्तुत किया।
मुनि मोहजीत कुमार ने भगवान महावीर की अध्यात्म यात्रा में 18 वें तथा 19 वें भव का प्रभावी वर्णन कर शमां बांधा। स्थानीय तपस्वी जनो ने तप का प्रत्याख्यान किया। रात्रिकालीन उपक्रम में आचार्य तुलसी से साक्षात्कार का चित्रण कर मुनि मोहजीत कुमार उनकी प्रत्यक्षता को प्रकट किया।
नवीन सालेचा ने बताया कि पर्युषण पर्व के दौरान रात्रिकालीन जाप तेरापंथ सभा और युवक परिषद के सदस्य कर रहे है। दिन के जाप में तेरापंथ महिला मंडल अपनी सहभागिता दर्ज करा रही है।