चेन्नई. विरुगमबाक्कम स्थित एमएपी भवन में कपिल मुनि ने श्री एस. एस.जैन संघ के तत्वावधान में रविवार को चातुर्मासार्थ प्रवेश किया। मुनि ने मीठालाल पगारिया के आवास से 8.45 बजे भव्य शोभा यात्रा के रूप में प्रस्थान किया। प्रस्थान के पूर्व नवकार महामंत्र और भक्तामर स्तोत्र का जप अनुष्ठान किया गया।
मुनि की प्रवेश यात्रा शहर के मुख्य मार्गों से गुजरती हुई चातुर्मास स्थल मीठालाल आदित्य करण पगारिया भवन में पहुंचते ही धर्म सभा में तब्दील हो गई। यहां संघ के पदाधिकारियों ने मुनि की अगवानी की।
इस मौके पर कपिल मुनि ने अपने उद्बोधन में कहा कि चातुर्मास जप-तप की साधना से आत्मगुणों के प्रकटीकरण का एक अवसर है। धर्म प्रभावना करना ही चातुर्मास का ध्येय है। सही मायने में धर्म प्रभावना तभी होगी जब हम अपनी आत्मा को जप-तप की साधना से प्रभावी बनाने का प्रयत्न करेंगे और रत्नत्रय (ज्ञान, दर्शन, चारित्र) के तेज से आत्मा को निखार कर दान, शील और तप की साधना से धर्म की महिमा को बढ़ाएंगे।
मुनि ने कहा पुण्य की प्रबलता से ही संत समागम और जिनवाणी श्रवण का दुर्लभतम संयोग प्राप्त होता है। हमें इस संयोग का उपयोग करने की कला को विकसित करना चाहिए। इस योग का सही उपयोग तभी हो सकेगा जब हम अपने भीतर श्रद्धा की लौ प्रज्वलित करेंगे। श्रद्धा के बल पर ही कोई इंसान गुरु के वचन को गुरु प्रसाद के रूप में स्वीकार करता है और जीवन को दिव्यता और भव्यता का रूप प्रदान करता है।
इस मौके पर महिला मंडल की ओर से नौरती बाई आंचलिया आदि ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष नेमीचंद लोढा ने चातुर्मास का लाभ प्रदान करने के लिए मुनि के प्रति आभार प्रकट किया।
माम्बलम संघ के उपाध्यक्ष डॉ उत्तमचंद गोठी, बेंगलुरु के सुरेशचंद छल्लाणी, जैन कॉन्फ्रेंस तमिलनाडु युवा शाखा के प्रांतीय अध्यक्ष आशीष पगारिया ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन संघमंत्री महावीरचंद पगारिया ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में जैन युवक संघ, महिला मंडल की सक्रिय भूमिका रही।