पुज्य जयतिलक जी म सा ने जैन भवन, रायपुरम में प्रवचन में बताया कि संसार में जन्म से लेकर मृत्यु तक कोई न कोई साथी अवश्य होता है। क्योंकि जैन धर्म में मैत्री भाव का शुद्ध मैत्री का बड़ा महत्व है। वास्तव में मैत्री वह है जो मित्र को किसी प्रकार की हानि पहुँचाये बिना उसका भला चाहना ! पाश्चात्य संस्कृति में मैत्री हानिकारक भी हो सकती है किंतु जैन धर्म में मात्र जीवों के साथ शुभ भाव से ही मैत्री की जाती है। जन्म कि मैत्री अपनाने वाले माता पिता है! माता पिता के समान और कोई बड़ा मित्र नहीं है। माता पिता अपनी संतान को सब प्रकार से सुखी रखने का प्रयास करते है!
अत: जन्म के मित्र है तो माता पिता। ऐसे परम मित्रो के साथ कभी दुर्व्यहार नहीं करना। संस्कारी माता पिता से संतान भी संस्कारी नहीं बन सकता है वैसे ही शरीर का भी मित्र है जो सब प्रकार से सहयोगी बनता है! जीवन का मित्र है और वह है भोजन ! यह शरीर अन्न का कीड़ा है उसे अन्न ग्रहण करना ही पड़ता है! तीर्थकर भगवान् अनंत बली होते हैं किन्तु उनको भी भोजन करना ही पड़ता है! अत: भगवान ने तपस्या के बाद पारणा करने का विधान बनाया! पारणा करने से नया बल प्राप्त हो जाता है। किंतु पारणा में किसी प्रकार की आसक्ति नहीं होनी चाहिए। पारणा सिर्फ फिर से बल प्राप्त कर तपस्या करके कर्म निर्जरा करने का साधन है! पारणा करने से तैजस शरीर प्रदीप्त होता है तेजोलेश्या को बल मिलता है। पारणा इच्छापूर्ति के लिए नहीं बलपूर्ति के लिए होता है। शरीर को संचालन करने के लिए तपस्वी को सोच विचार कर भोजन करना चाहिए ! जिससे इस शरीर से कर्म निर्जरा हो सके। अत: भोजन शरीर का मित्र है।
“शरीरं व्याधि मंदिर” यह शरीर व्याधि का घर है। जब अशुभ कर्म उदय में आते है तो शरीर में रोग उत्पन्न होता है। कहते है कि जब सृष्टि की रचना हुई तब छोटे छोटे रोग से मृत्यु हो जाती थी तो उन्होंने रिसर्च कर पता लगाया कि रोग मुक्त में औषध सहायक है। और आहार ही औषध है। आपके गलत खान पान से ही रोग उत्पन्न होते है। यदि उसके बवजूद रोग आये तो पूर्व भव कमों का उदय है तो समभाव से भोग लो। रोग आन पर व्यक्ति डाक्टर के पास जाते है तो पथ्य से आहार करने का निर्देश देता है आहार आपका मित्र है। उसका विवेक रखो। अन्यथा यह आहार ही आपका शत्रु बन जाता है। यह तीन मित्र तो लौकिक है।
अशोक खटोड ने प्रवचन पर आधारित पाँच प्रश्न पूछे सही जवाब देने वाले सभी को ईनाम दीया गया । संचालन मंत्री नरेन्द्र मरलेचा ने किया।