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जन्म से नहीं कर्म से बनते हैं महापुरुष: जयधुरंधर मुनि

जन्म से नहीं कर्म से बनते हैं महापुरुष: जयधुरंधर मुनि

जय धुरंधर मुनि का 62 वां जन्म दिवस मनाया

चेन्नई. वेपेरी स्थित जय वाटिका मरलेचा गार्डन में जन्माष्टमी एवं जयधुरंधर मुनि का 62वां जन्मदिवस मनाया गया। इस अवसर पर जयपुरंदर मुनि ने कहा जब-जब इस धरती पर अन्याय और अत्याचार चरम पर पहुंचता है, कोई न कोई महापुरुष इस धरती पर अवतरित होता है। महापुरुष वही होते हैं जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए।

तमसो मा ज्योतिर्गमय सूत्र को आत्मसात करने के लिए महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। श्री कृष्ण का जीवन अन्याय पर न्याय की विजय का आदर्श उदाहरण है। सत्य की हमेशा जीत होती है। असत्य को पराजित होना ही पड़ता है। श्री कृष्ण का अर्धरात्रि को जन्म होना इस बात का सूचक है कि महापुरुष अंधकार को चीरकर प्रकाश की किरण व्याप्त करते हैं।

कारागृह में जन्म होने के बावजूद उन्होंने संघर्ष करते हुए वासुदेव पद प्राप्त किया। इसलिए उन्हें कर्मयोगी कहा जाता है। कोई महापुरुष जन्म से नहीं कर्म से बनता है। कृष्ण का अंत करने का प्रयास करने वाले कंस का स्वयं ही अंत हो जाता है। अन्याय के पैर नहीं होते अत: वह लंबे समय तक टिक नहीं पाता। मुनि ने श्री कृष्ण के जीवन से संबंधित अनेक घटनाएं एवं बाल लीलाओं का वर्णन किया।

जयधुरंधर मुनि के जन्मदिवस पर जयपुरंदर मुनि ने कहा जो भी साधक साधना के पथ पर अग्रसर हो जाते हैं, उनका जीवन सार्थक हो जाता है। ऐसे साधक जन-जन के लिए पूजनीय एवं आदरणीय बन जाते हैं। चेन्नई में ही जन्म लेकर इसी कर्मभूमि पर दीक्षा लेना भी एक संयोग की बात है। आचार्य पाश्र्वचन्द्र एवं मुनि डॉ पदमचंद्र की प्रेरणा से जो धर्म का रंग चढ़ा वही संयम के रंग में परिवर्तित हो गया।

ये सरल स्वभावी, मिलनसार, मृदुभाषी, विनम , मधुर व्याख्यानी, दृढ़ संकल्पी एवं बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी हैं, व अनेक प्रकार की तपस्या करते हुए मौन साधना में रत रहते हैं।

इस अवसर पर समणी श्रीनिधि, श्रुतनिधि, एवं सुधननिधि भी उपस्थित थी। जेपीपी जैन महिला फाउंडेशन की सदस्यों ने गुरु भक्ति गीत प्रस्तुत किया। सुशीला मेहता एवं ललिता कोठारी ने भी जयधुरंधर मुनि के जीवन पर प्रकाश डाला।

नरेंद्र मरलेचा, गौतमचंद रुणवाल, अमरचंद बोकडिया, उत्तमचंद बोकडिया, पारसमल बोहरा, धर्मीचंद बोहरा, सोहनलाल झामड, ललेश कांकरिया, मुकुनचंद बोहरा ने भी विचार व्यक्त किए।

 

इस उपलक्ष में वेपेरी स्थित जयमल जैन पौषधशाला में ललिता रविंद्र कोठारी की ओर से 350 लोगों में अन्नदान किया।

जयमल जैन चतुर्मास समिति के प्रचार प्रसार चेयरमैन ज्ञानचंद कोठारी ने बताया मुनिवृंद के सानिध्य में आयोजित चौबीस दिवसीय चौबीस तीर्थंकर साधना करने वाली सौ साधिकाओं का सम्मान पारसमल कमलादेवी बोहरा की ओर से किया गया।

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