अहंकार लेकर परमात्माकी भक्ति नहीं की जा सकती, श्रध्दा विनम्रता से भक्ति हो सकती! जन्म के साथ आयी वस्तु है श्रध्दा! – साध्वी डॉ. मेघा़श्री जी आकुर्डी स्थानक भवन मे आज “ पुच्छिसुणं” जाप का चौथे अध्याय का संपुट हुआ! “ श्रध्दा” विषयपर जिनवाणी सुनाते वक़्त डॉ. मेघा़श्री जी ने श्रध्दा के दो प्रकारों की अंधश्रध्दा एवं सम्यक श्रध्दा की विस्तृत जानकारी दी! श्रध्दा रुपी बाती मे ज्ञानरुपी तेल से ज्ञानप्रकाश मिलता है!
आज रितेश जी डुंगरवाल के 9 उपवास के प्रत्याख्यान हुये! रितेश जी का सन्मान तपस्या के बोली से हुआ ! संघ द्वारा रजत मुंद्रा दे उन्हें गौरन्वित किया और जैन सोशल ग्रुप पुना सेंट्रल के 45 धर्मप्रेमी भाई बहन अध्यक्षा श्रीमती मधुमती चोरडीया, निवर्तमान अध्यक्षा मंगला जी टाटीया एवं विहार सेवक रविंन्द्र जी बलाई के नेत्रुत्व मे दर्शनार्थ पधारे!
डॉ. मेघा़श्री जी एवं डॉ. राज श्री जी का उद् बोधन एवं मांगलिक का लाभ लिया! सेवाधारी रसौय्या इंदर जी को संघ के विश्वस्तो के करकमलो द्वारा भेंट वस्तु दे नवाज़ा गया! जैन सोशलग्रुप के पदाधिकारीयों को श्री संघ द्वारा नवाज़ा गया !