कोयम्बत्तूर आर एस पुरम स्थित आराधना भवन में चातुर्मासिक प्रवचन की कड़ी में विमलशिष्य वीरेन्द्र मुनि ने जैन दिवाकर दरबार में धर्म सभा को संबोधित करते हुवे कहा किसुखविपाक सूत्र में सुबाहुकुमार को युवराज बना दिया गया।सुबाहु कुमार बहुत ही विवेकशील कोमल हृदय व शक्ति संपन्न बुद्धिशाली थे कार्य करने में कुशल थे उन्होंने राज व्यवस्था इस प्रकार की जिससे जनता सुखी रहे क्योंकि जनता सुखी तो राजा भी सुखी रह सकता है अगर जनता दुखी हो तो वहां का राजा कैसे सुखी रह सकता है।जनता के साथ हिल मिलकर उनके सुख-दुख में साथ रहने वाला राजा ही प्रजा वत्सल हो सकता है जिस देश के राजा लोग स्वार्थ में अंधे हो वहां की प्रजा में अमन चैन कहां से होगा।भगवान महावीर की वाणी शास्त्र रूप में हमारे सामने हैं उसे हम पढ़े चिंतन मनन करें तो ही शास्त्र हमारे सामने दर्पण के समान है। जैसे दर्पण में प्रतिबिंब दिखता है वैसे ही शास्त्र आगम के द्वारा हमें आत्म चिंतन करेंगे तो हमारा गृहस्थ जीवन घर-परिवार राज्य देश हर स्थान पर हम अमन चैन सुख शांति से जीवन यापन कर सकते हैं।
जनता सुखी तो राजा भी सुखी: वीरेन्द्र मुनि
By saadhak
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