चेन्नई. तीर्थंकर परमात्मा का रथ खींचते युवा, पालकी कंधों पर उठाए श्रद्धालु, वातावरण को गुंजायमान करती ढोल नगाड़े व बैंड की स्वर लहरियां, जोधपुरी साफे में सजे श्रावक, चूनरी लहरिया में सजायमान श्राविकाएं, जैन धर्म के झण्डे लहराते व जयकारे लगाते युवा और हंस की चाल से गतिमान साधु साध्वीवृन्द। मौका था जैन समाज के चौदह संघों की सामूहिक भव्य रथयात्रा का।
यह रथयात्रा वेपेरी श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ, किलपॉक श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ, पट्टालम जैन संघ, शांतिवल्लभ टीवीएच लुम्बिनी जैन संघ, सुमतिनाथ नॉर्थटाउन श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ, पुलियानतोप मूर्तिपूजक जैन संघ, पुरुषादानीय पाश्र्वनाथ जैन मूर्तिपूजक संघ, चन्द्रप्रभु जैन श्वेतांबर मंदिर चूलै, महावीर जिनालय ट्रस्ट देवदर्शन, मुनिसुव्रत स्वामी जैन संघ कैन्सस, वासुपूज्य जिनालय अरिहन्त शिवशक्ति, अरिहन्त वैकुण्ठ मुनिसुव्रत जैन ट्रस्ट, नमिनाथ स्थूलभद्र विहार ट्रस्ट एवं शंखेश्वर पाश्र्वनाथ जिनालय केएलपी अभिनंदन के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को जिनशासन की प्रभावना निमित्त आयोजित की गई।
किलपॉक स्थित एससी शाह भवन से सवेरे 8.30 बजे मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विनीत कोठारी ने झण्डी दिखाकर रथयात्रा रवाना किया। पुरुष्वाक्कम हाई रोड, हन्टर्स रोड होते हुए वेपेरी स्थित बुद्ध वीर वाटिका, गौतम किरण के प्रांगण में पहुंच कर वहां धर्मसभा में परिवर्तित हुई।
आचार्य विमलसागरसूरिश्वर की प्रेरणा से चेन्नई में पहली बार चौदह संघों ने संयुक्त रूप से इसका आयोजन किया।
रथयात्रा में आचार्य जगच्चंद्रसूरिश्वर, आचार्य वर्धमान सागरसूरीश्वर, आचार्य तीर्थ भद्रसूरीश्वर, आचार्य विमलसागरसूरीश्वर एवं अन्य साधु साध्वीवृंद सम्मिलित हुए।
आचार्य जगच्चंद्रसूरिश्वर ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा जिनशासन की प्रभावना निमित्त इस अनुष्ठान में शामिल होकर जिनशासन की शोभा बढ़ाई उसकी अनुमोदना करते हैं। हमें शासन को हमारे हृदय में प्रतिष्ठित करना है। यही हमारा आलंबन है। इससे जीवन को सुखमयी, समाधिपूर्ण बना सकते है और स्वर्ग की प्राप्ति सुलभ कर सकते हैं। उन्होंने कहा देव, गुरु, धर्म के प्रति श्रद्धान्वित बनें।
आचार्य तीर्थ भद्रसूरीश्वर ने कहा जिनशासन जगत के जीवों का कल्याण करने वाला है इसलिए यह जीवशासन है। चेन्नई में इस मौके पर जैन एकता, संगठन, परस्पर आत्मीयता का भाव प्रदर्शित हुआ है। यह एक शुरुआत है। हर वर्ष सब मिलकर परमात्मा के शासन की जयकार करें। उन्होंने कहा जीवन में परमात्मा की आज्ञा और व्यवहार में अनुशासन की अत्यंत आवश्यकता है। आज आचार्य विमलसागरसूरीश्वर ने इसका बीज बोया है। 25 वर्ष पूर्व आचार्य कलापूर्णसूरीश्वर ने यहां प्रभु भक्ति का बीज बोया था। यह संकल्प हमें करना है कि कहीं भी जिनशासन का अवमूल्यन न हो।
आचार्य विमलसागरसूरीश्वर ने कहा परमात्मा की भक्ति व जिनशासन की प्रभावना के लिए यह आयोजन किया गया। जैन समाज को जैनत्व और जिनशासन की एकता का परिचय हर जगह देना है। हर वर्ष पर्यूषण के बाद पहले रविवार को रथयात्रा का आयोजन अवश्यमेव होना चाहिए। अपने नाम की अभिलाषा के बिना अरिहन्त परमात्मा के प्रति निष्ठा रखनी चाहिए।
उन्होंने कहा हर घर में जैनत्व और देवत्व बसना चाहिए और आचारशुद्धि का ध्यान रखना चाहिए। मुनि तीर्थ तिलकविजय ने कहा हमें मानव भव मिला है। हमें ऐसी आराधना करनी चाहिए जो हमारे अन्त समय में अच्छी याद के रूप में जीवन से जुड़े। आज जिनशासन की जयनाद हुई है। वेपेरी संघ की ओर से साधर्मिक भक्ति का आयोजन किया गया।