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चोर को सहायता देने वाला भी चोर कहलाता है: जयधुरंधर मुनि

चोर को सहायता देने वाला भी चोर कहलाता है: जयधुरंधर मुनि
जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में वेपेरी स्थित जय वाटिका मरलेचा गार्डन में श्रावक के 12 व्रतों के शिविर में तीसरे व्रत के अतिचारों का वर्णन करते हुए जयधुरंधर मुनि ने कहा अतिचारों का सेवन करने वाला द्रव्य रूप से चोरी ना करते हुए भी भाव रूप से चोरों जैसा कार्य कर डालता है। 
नीतिकारों ने सात व्यक्तियों की गणना चोरों में की है। चोरी करने वाला, चोरी की प्रेरणा देने वाला, चोरी के लिए सलाह देने वाला, चोरी करने के भेद बताने वाला ,चोरों को आश्रय देने वाला, चोरों को साधन प्रदान करने वाला और चोरी का माल खरीदने वाला भी चोर के तुल्य समझा जाता है।
इसलिए चोर को सहायता नहीं देनी चाहिए। एक आदर्श श्रावक को राज्य की व्यवस्था कानून के विपरीत कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। नागरिक होने के नाते राज्य के नियमों का पालन करना जरूरी है।
लोभ के वशीभूत झूठा माप तोल किया जाता है तो व्रत में आंशिक दोष लगता ही है साथ ही तिर्यंच गति के बंध का कारण भी उपस्थित हो जाता है। वस्तुओं में मिलावट करने से होने वाले आर्थिक और शारीरिक नुकसान की भरपाई आसानी से नहीं हो सकती ।
शुद्ध आहार के अभाव के कारण ही आज हृदय रोग, मधुमेह आदि बीमारियां बढ़ती जा रही है। धन लोलुप मानव यदि जानते हुए भी ऐसे गलत कार्य करता है तो उसे सजा भुगतनी ही पड़ती है।
नीति का कथन है कि धन के लिए व्यक्ति को अपना धर्म नहीं छोड़ना चाहिए । अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करना चाहिए। जीवन का उद्देश्य केवल धन कमाना ही नहीं अपितु सुख और चैन की प्राप्ति करना भी है।
सुख धन से नहीं मन से मिलता है। कमाई की भूख नैतिकता को समाप्त न कर जाए। इसलिए एक श्रावक अपनी पेट जमाते हुए अनीति का प्रयोग नहीं करता। एक बार के लिए अन्याय से कमाया हुआ पैसा इकट्ठा हो जाए लेकिन वह ज्यादा समय तक टिकता नहीं है ।
इस अवसर पर जयपुरंदर मुनि ने नवतत्वों की व्याख्या करते हुए कहा की पुण्य और पाप दो ऐसे तत्व है जिनको समझना बहुत जरूरी है। पाप से बचकर पुण्य का उपार्जन करने के भाव होनी चाहिए।  साथ ही आश्रम के द्वार बंध करते हुए संवर की ओर बढ़ना चाहिए । जीवन की हर क्रियाओं में इन तत्वों का विशेषकर बहुत प्रभाव रहता है।
आज की धर्म सभाओं में जयमल जैन श्रावक संघ बेंगलुरु के पदाधिकारियों सहित 120 सदस्यों ने गुरु भगवंतों के दर्शन एवं प्रवचन श्रवण का लाभ लिया। मुनिवृंद का पिछले वर्ष का चतुर्मास बेंगलुरु में हुआ था ।
बेंगलुरु संघ के अध्यक्ष मीठालाल मकाना, महिला मंडल, महिला फाउंडेशन एवं युवक परिषद के सदस्यों ने भी अपने भाव व्यक्त किए।  चेन्नई संघ की ओर से बेंगलुरु संघ का बहुमान किया गया। धर्म सभा का संचालन चातुर्मास समिति के प्रचार प्रसार समिति चेयरमैन ज्ञानचंद कोठारी ने किया।

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