बेंगलुरु। आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीजी व साध्वीवर्या मोक्षज्योतिश्रीजी म.सा. की निश्रा में अक्कीपेट नाहर भवन में चातुर्मास समापन समारोह का भव्य आयोजन रविवार को हुआ।चातुर्मास समारोह में प्रवचन प्रभावक आचार्यश्री देवेंद्रसागरजी ने अपने दार्शनिक व आध्यात्मिक प्रवचन द्वारा उपस्थित श्रद्धालुओं को जीवन जीने का उपदेश दिया।
चातुर्मास समाप्ति के उपरांत नाहर भवन में उनका विदाई समारोह मनाया गया। ललित भाई ने सभा का संचालन करते हुए गुरुदेवश्री द्वारा धर्म ध्यान क्षेत्र के अविस्मरणीय योगदान के लिये साधुवाद प्रकट किया। जैन स्नात्र बालिका मंडल ने विदाई भजनों की प्रस्तुति दी।
अक्कीपेट जैन मंदिर के अध्यक्ष उत्तमकरण जैन, सचिव कांतिलाल जैन एवं पाठशाला के प्राध्यापक मीठालाल जैन सहित अनेक वक्ताओं ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। मुनि श्री महापद्मसागरजी ने कहा कि पिछले चार महीनों में उन्होंने यहां पर धर्म प्रचार किया और इससे लोगों में आध्यात्मिक व वैचारिक क्रांति का सूत्रपात हुआ है।
उन्होंने कहा कि संत अपने शिष्यों, भक्तों को कभी छोड़कर नहीं जाते। जो संतों को हृदय में बसा लेते है संत सदा उनके मन में बस जाते है। इस दौरान श्री वासुपूज्य स्वामी श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन श्रीसंघ की ओर से स्वामी वात्सल्य का भी आयोजन रखा गया था।