जैन संत डाक्टर राजेंद्र मुनि जी ने चातुर्मास समापन पर बोलते हुए श्री संघ बठिंडा को धन्यवाद अर्पण करते हुए कहा, चार माह तक निरन्तर जारी रहने वाला यह महामहोत्सव अनेकानेक धार्मिक सामाजिक, जप तप दान दया स्वधर्मी भाईओं की सेवा व विशेष कर आत्म साधना के साथ सम्पन हुआ है! इस दरम्यान कई धार्मिक उत्सवो मे गुरु आत्म आनन्द देवेन्द्र शिव पुष्कर जयंति, बाल संस्कार शिविर, घर घर मे अखण्ड नवकार मंत्र साधना का जाप, भारतभर से लोगों का आवागमन रहा, मुनि जी ने जीवन मे सत्संग का महत्व बतलाते हुए कहा सत आत्मा संग सम्पर्क जहाँ आत्मा का सम्बन्ध जुड़ता हो वही सच्चा सत्संग है! मानव मन आधुनिक वातावरण के कारण शरीर को ही सर्वस्व मानकर जीवन जी लेता है जबकि शरीर क्षण भंगूर नाशवान तत्व है पंचभूतों से निर्मित शरीर पंचभूतों मे मिट्टी का मिट्टी मे विलीन हो जाता है! धर्म ने शरीर को मात्र साधन माना है जिससे साधना की जाती है!
आत्मा मुख्य तत्व है न की शरीर की महत्ता है! आत्मा के अभाब मे शरीर एक क्षण भी मौजूद नहीं रह पाता! आज के इस पावन अवसर पर साहित्यकार श्री सुरेन्द्र मुनि जी द्वारा महाचमत्कारी श्री घंटाकरण जी का विधिविधान के साथ अनुष्ठान करवाया एवं चातुर्मास समापन पर अपने विचार व्यक्त किए, समाज की और से प्रधान महेश जैन महामंत्री उमेश जैन मन्त्री पुष्पेन्द्र जैन डाक्टर सुभाष जैन, महिला मण्डल आदि ने विस्तार से प्रकाश डालते हुए गुरुदेवो को आदर की चादर के साथ शासन प्रभावक डाक्टर राजेन्द्र मुनि, ज्ञानयोगी सुरेन्द्र मुनि के अलंकार से नवाज़ा गया!
इस अवसर पर रोड़ी से पधारी वैरागन गुरप्रीत जैन जो महासाध्वी श्री रजत रश्मि जी की शिष्य बनने जा रही है उसका संघ व सदस्यों द्वारा हार्दिक अभिनन्दन किया गया एवं चातुर्मासिक सामूहिक क्षमा याचना कार्यक्रम सम्पन हुआ! महामंत्री उमेश जैन द्वारा मांगलिक सूचनाएं एवं दिनांक 20 नवंबर को जैन स्थानक से विहार कर सुबह 8 बजे पुरषोतम जी जैन के निवास स्थान पर मंगल विहार की सूचना प्रदान की गई।