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चातुर्मास में जप, तप, ध्यान, साधना, दानशील का बड़ा महत्व है- महासति दिव्यज्योतिजी म.सा.

चातुर्मास में जप, तप, ध्यान, साधना, दानशील का बड़ा महत्व है- महासति दिव्यज्योतिजी म.सा.

नागदा जं. निप्र- स्थानकवासी जैन समाज के मीडिया प्रभारी महेन्द्र कांठेड एवं नितिन बुडावनवाला ने बताया कि चातुर्मास के प्रथम दिन महावीर भवन में महासति पूज्य दिव्यज्योतिजी म.सा. ने कहा कि यह चातुर्मास का पर्व में जप, तप, ध्यान, साधना, दान, शील का बहुत बड़ा महत्व होता है क्योंकि इन चार माह में हमारे मन को विचलीत कर रहे कांटे को, कचरे को, कषायों को, बैरभाव को खत्म कर हम पुनः समभाव से जीवन व्यतीत करते है। महासति काव्याश्रीजी एवं पूज्य नाव्याश्रीजी के गुरू महिमा पर मधुर स्तवनी की प्रस्तुती पर सभी का मन मोह लिया।

 धर्मसभा में महासति नाव्याश्रीजी ने कहा कि मानव को अंत समय में संत दर्शन सानिध्य एवं धर्म मंत्रो से मोक्ष की प्राप्ती होकर प्रभु चरणों में उच्च स्थान की प्राप्ति होती है। आपने कहा कि गुरू से ही जीवन शुरू होता है। बाल्यकाल में माता गुरू का कार्य करती है बचपन में पिता गुरू का कार्य करते है उसके बाद के गुरू का कार्य शुरू हो जाता है।

 तपस्या के अन्तर्गत 2 उपवास अमृत कांठेड़ एवं 2 उपवास मानुबेन तरवेचा के चल रहे है। अतिथि सत्कार का लाभ सुशीलाजी सचीनजी कोलन ने लीया। संचालन अरविंद नाहर ने किया एवं आभार श्रीसंघ अध्यक्ष प्रकाशचन्द्र जैन लुणावत एवं चातुर्मास अध्यक्ष सतीश जैन सांवेरवाला ने माना।

 सुनील सकलेचा ने बताया कि परमपूज्य महासति श्री पुष्पाजी म.सा. पूज्य साधनाजी म.सा. एवं पूज्य ज्योत्सनाजी म.सा. महाराष्ट्र के घोड़नदि शिखर में चातुर्मास में श्रीसंघ को घोड़नदि श्रीसंघ ने दर्शन वंदन एवं प्रवचन में लाभ लेने की अपील की गई।

दिनांक 13/07/2022 मीडिया प्रभारी

                महेन्द्र कांठेड

           नितिन बुडावनवाला

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