सांसारिक जीवन में आत्मा का कल्याण के लिए चातुर्मास के चार माह के दौरान हर किसी धर्म प्रेमी बंधु को चाहिये कि वे अपने जीवन में बोधी का बीजारोपण करे। बोधी के बीज के रोपण से न केवल आत्मा का कल्याण होता है, बल्कि यह हमारे जीवन को सदगति प्रदान करता है। चातुर्मास हमारे सांसारिक जीवन को आत्मकल्याण की दिशा प्रदान करता है। आत्मा के कल्याण के लिए कम से कम चातुर्मास के दौरान जीवन में त्याग,तप, धर्म आराधना को महत्व देना चाहिए, जिससे की हम आत्म कल्याण के मार्ग पर आगे बढ़ सके।
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ग्रेटर हैदराबाद, के तत्वावधान में काचीगुड़ा स्थित श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक भवन में संचालित चातुर्मास धर्मसभा में शासन दीपिका उपप्रवर्तिनी महासती श्री बसंतकंवरजी म.सा की सुशिष्या उपप्रवर्तिनी महासती श्री मंगलप्रभा जी म.सा ने गुरु पूर्णिमा व चातुर्मास के प्रारम्भ पर अपने उद्बोधन में उक्त उदगार व्यक्त किये। संघ के संघपति स्वरूप चंद कोठारी ने आज यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए बताया कि महासती ने गुरु पूर्णिमा व चातुर्मास के महत्व को दर्शाते हुए कहा कि गुरु के बिना किसी का भी जीवन शुरू नहीं होता है, ठीक इसी प्रकार से चातुर्मास के बिना हमारे जीवन में आत्मा का कल्याण संभव नहीं होता है।
म.सा ने फरमाया कि वर्ष के 365 दिन में से कम से कम 120 दिन चातुर्मास के दौरान हमें धर्म-ध्यान करना चाहिये। वर्ष पर हम सांसारिक जीवन से बंधे रहते है, लेकिन चातुर्मास हमारे जीवन को धर्म से जोड़ने और हमारी आत्मा के कल्याण के लिए आता है। कोरोना के संकटकाल के दौरान हमने प्रशासन की सुन ली लेकिन इन चार माह के दौरान हमें आगम की सुननी है, वर्ष भर हमने काफी समाचार पत्र पढ़ लिये है, लेकिन हमें इन चार माह में शास्त्र पढ़ने है, वर्ष भर हमने काफी समाचार टीवी पर देख लिये है, लेकिन चार माह हमे देव गुरु धर्म आर साधु-साध्वियों के दर्शन वंदन करने है। चार माह हमारी आत्मा का चिंतन करने का समय है, हम चिंतन के माध्यम से अपने आपकों अपनी आत्मा से जोड़ सकते है, आत्मा की आवाज को सुन सकते है। जीवन में तीन प्रकार का बीजारोपण होता है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बीजारोपण बोधी बीज का रोपण होता है। जिसके जीवन में बोधी बीज का रोपण होता है, उसका जीवन धन्य हो जाता है। चातुर्मास हमें हमारे जीवन में बोधी बीजे के रोपण का अवसर प्रदान करता है और इन चार माह के दौरान हम बोधी बीज का अपने जीवन में रोपण कर अपनी आत्मा का कल्याण कर सकते है।
इसके पूर्व धर्मसभा के प्रारम्भ में संगीत प्रिय श्री दिव्यांशीश्री जी म.सा ने अपने उद्बोधन में गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहा कि आज का दिन पवित्र दिन है, क्योंकि आज के दिन ही चातुर्मास प्रारम्भ हो रहा है और आज के दिन ही गुरु पूर्णिमा है। जिस प्रकार से गुरु हमें अपने जीवन में क्या करना है, क्या नहीं करना है बताते है, ठीक इसी प्रकार से चातुर्मास भी हमें हमारे सांसारिक जीवन में हमें क्या करना है और क्या नहीं करना है, इसकी प्रेरणा देता है। गुरु का नाम लेते ही हमारा दिल गदगद हो जाता है, क्योंकि गुरु ही हमें हमारे जीवन का मार्ग दर्शन कराते है। ज्ञान जिज्ञासु डाॅ. सौम्यश्रीजी म,सा ने जीवन में गुरु की महिमा का उल्लेख करते हुए स्तवन प्रस्तुत किया। अध्ययनशिला हर्षिताश्रीजी म,सा ने बताया कि गुरु को देवताओं से भी बड़ा माना गया है और इस संदर्भ में म,सा ने गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागु…. पाय दोहे का उदाहरण दिया।
आज का दिन इसलिए भी पावन है, क्योंकि आज के दिन ही गौतम स्वामी ने माली स्वामी को गुरु के रूप में स्वीकार किया और उन्हें देव गुरु धर्म मिल गया। गुरु पूर्णिमा हमें हर्षोल्लास के साथ मनाना है, क्योंकि गुरु ही हमारे जीवन के मार्ग दर्शक होते है। जिसके जीवन में गुरु नहीं होते है उनका जीवन परिपूर्ण नहीं होता है, जिसके जीवन में गुरु नहीं उसका जीवन शुरू नहीं। गुरु हमें जीवन में भगवान के दर्शन कराते है और इसे म.सा ने एक प्रेरक प्रसंग के माध्यम से समझाया व दर्शाया। मधुर व्याख्यानी श्री मधुस्मिताजी म.सा ने गुरु में ही हमारी आत्मा को परमात्मा बनाने का सामर्थ्य होता है। गुरु के बिना किसी का भी जीवन सफल नहीं होता है, जिस प्रकार से सूरज के बिना दिन नहीं होता, चांद के बिना रात नहीं होती, बादल के बिना बरसात नहीं होती, ठीक इसी प्रकार से गुरु के बिना हमारे जीवन की शुरुआत भी नहीं होती है। म.सा ने फरमाया कि चातुर्मास कर्मो की निर्जरा करने का समय है और हर किसी को इस समय का सदुपयोग तप,त्याग,धर्म आराधना के जरिए अपने कर्मों की निर्जरा करनी चाहिये। धर्मसभा का संचालन करते हुए संघ के महामंत्री सज्जनराज गांधी ने कहा की आज चातुर्मास प्रारम्भ हुआ है।
प्रतिदिन दैनिक कार्यक्रम के अंतर्गत सूर्यास्त पश्चात् प्रार्थना , प्रवचन प्रातः 9:15 से 10:15 बजे रहेगा । मध्याह्न 2:30 se 3:30 बजे धर्मचर्चा व शिविर एवं सूर्यास्त पश्चात् प्रतिक्रमण की व्यवस्था रहेगी । प्रति शुक्रवार को प्रवचन के पश्चात् पद्मावती कथा का पाठ एवं सामूहिक एकासन का आयोजन रहेगा । आज की धर्म सभा में कई श्रावक – श्राविकाओ ने चातुर्मास में रात्रिभोजन का त्याग , जमिकंद का त्याग , होटेल का त्याग आदि के प्रत्याख्यान लिए । आज की धर्मसभा में महासती श्री तीर्थश्रीजी म.सा के वीरपिता धनश्यामजी का संघ की ओर से स्वागत व अभिनंदन किया गया । आज से स्थानक में एकासन , आयंबिल , उपवास व तेले की लड़ी प्रारम्भ हुई ।