नागदा (निप्र)- महावीर भवन में विराजीत पूज्य महासति दिव्यज्योतिजी म.सा. ठाणा 6 के चातुर्मास काल के विहार के पूर्व सोमवार से लगाकर रविवार तक सात दिनों तक प्रत्येक वार का विश्लेषण आज से प्रारम्भ हुआ।
आज गुरूदेव ने सोमवार के बारे में बताया कि यह चन्द्र देवता का वार है एवं साथ ही भगवान शिव का भी वार है। इस दिन चन्द्रदेवता की विधि विधान पूर्वक शुद्धता एवं स्वच्छतापूर्वक पूजा आराधना एवं व्रत करने से चन्द्र दोष दूर होकर संतान सुख, आरोग्य सुख एवं सम्पत्ति सुख की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार समुन्द्र में ज्वार भाटा की जो स्थिति भी चन्द्रमा के कारण ही उपस्थित होती है। इस ब्रम्हाण्ड में सूर्य के बाद सबसे ज्यादा चमकीला ग्रह चन्द्रमा ही है। आयुर्वेद में एक सुप्रसिद्ध औषधी चन्द्रप्रभावटी दर्द निवारक का नामांकरण भी चन्द्रमा की रोशन में जड़ी बुटीयों को एकत्रित कर योग का नामकरण भी चन्द्र के नाम से है।
मानव शरीर को शीतलता प्रदान करने वाला लेफ्ट नासिका से चन्द्र भेदी प्राणायाम में भी चन्द्र की शीतलता प्राप्त कर पित्त प्रकोप सहित कई बिमारियों का समाधान प्राचीनकाल से आज तक सफलतापूर्वक किया जा रहा है। सोमवार चन्द्र प्रभु स्वामी का दिन माना जाता है। चन्द्रमा को सभी धर्मो एवं जातियों में मान्यता प्राप्त है। जिस प्रकार प्रतिदिन चन्द्रमा बढ़ता एवं घटता है उसी प्रकार मानव जीवन में भी उतार-चढ़ाव आते रहते है।
गुरूभक्तो का आवागमन निरंतर जारी है। संचालन राजेन्द्र कांठेड़ ने किया एवं आभार श्रीसंघ अध्यक्ष सतीश जैन सांवेरवाला ने माना। उपरोक्त जानकारी स्थानकवासी जैन समाज के मीडिया प्रभारी महेन्द्र कांठेड एवं नितिन बुडावनवाला ने दी है।
दिनांक 31/10/2022
मीडिया प्रभारी
महेन्द्र कांठेड
नितिन बुडावनवाला