कोयम्बत्तूर आर एस पुरम स्थित आराधना भवन में चातुर्मासिक प्रवचन की कड़ी में विमलशिष्य वीरेन्द्र मुनि ने जैन दिवाकर दरबार में धर्म सभा को संबोधित करते हुवे कहा कि आज कृष्ण जन्माष्टमी है, आज के दिन कर्म योगी मातृ भक्त श्री कृष्ण का जन्म होने से अष्टमी तिथि का नाम ही जन्माष्टमी हो गया श्री कृष्ण राज नीतिज्ञ थे।
उन्होंने अपने जीवन में बहुत सारी लीलाएं की और 360 युद्ध किये हर युद्ध में विजय प्राप्त की किसी देवी देवता राक्षस पशु पक्षी कालीद्रह में कालियां नाग से भी डरे नहीं और न हारे पूतना जैसी राक्षसनी को भी दूध मुंहे बच्चे थे तभी परलोक पहुंचा दिया था।
ऐसे परम शक्तिशाली श्री कृष्ण का जन्म कारागार में हुआ माता देवकी ने जन्म दिया पर पालन-पोषण यशोदा मैया ने किया कितने भाग्यशाली थे। जिससे दो दो माताओं का लाड़-प्यार मिला था कारागृह में जन्मे वह अंतिम स्वास् कानन जंगल में पृथ्वी पट शीला पर सोते हुवे प्राण त्याग किया था।
उसके बीच बहुत से नाटक माखन चोर की लीला आदि किये और उन्होंने धर्म की दलाली करके आने वाली चौवीसी में 12 तीर्थंकर अमम नाम के बनकर तीर्थ की स्थापना कर अपने कर्मों को नष्ट करके परम पद ( मोक्ष )को प्राप्त करके जन्म-मरण की श्रृंखला समाप्त करेंगे। श्री कृष्ण मुरारी प्रकटे उपकारी यादव वंश में।