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ज्ञान वाणी

चलो उनके साथ जिनकी आत्म मित्रता हममें शांति और आनन्द के निर्झर बहा दे

दादा गुरुदेव जोरावरमलजी महाराज की पुण्य स्मृति दिवस पर संबोधन

चेन्नई. गुरुवार को कोंडीतोप, चेन्नई के समता भवन में विराजित उमराव ‘अर्चना’ सुशिष्या मंडल सहित साध्वी कंचनकुंवर, साध्वी डॉ.सुप्रभा ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित किया।

साध्वी डॉ.उदितप्रभा ‘उषा’ ने आगमवेता दादा गुरुदेव जोरावरमल म.सा. की पुण्य स्मृति दिवस पर सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पूज्य श्री जोरावरमल म.सा. की कुशाग्रबुद्धि थी, दस वर्ष की उम्र में ही उन्हें दस हजार श्लोक कण्ठस्थ थे?

उनका जीवन अप्रमत्त था दिनभर में एक क्षण का भी प्रमाद नहीं करते थे, ध्यान, मौन, स्वाध्याय में रत रहते थे। हमने दादा गुरुदेव के दर्शनलाभ तो नहीं लिए परन्तु जब उनके शिष्य इतने शासन प्रभावी थे जो आचार्य, युवाचार्य, उपाध्याय पद को प्राप्त किया तो उनके गुरुदेव कितने महान थे। सद्गुरु वे होते हैं जो शिष्य की कायाकल्प कर दे।

इसलिए कहा है- जियो उनके साथ जिन्होंने अन्तर के अनन्त आकाश में विहार कर जीवन की गहनता को प्राप्त करते हैं, बैठो उनके पास जो अन्तर में आलोक भर दें, चलो उनके साथ जिनकी आत्म मित्रता हमें शांति और आनन्द के निर्झर बहा दे।

आगमवेत्ता की पुण्य स्मृति दिवस पर कम से कम एक पृष्ठ का स्वाध्याय अवश्य करावें। स्वाध्याय अर्थात् स्व का अध्ययन, स्व का निरीक्षण, स्व का परीक्षण।

स्वाध्याय की पियुष की प्याली है, स्वाध्याय सद्गुणों की थाली है, जिनके जीवन में न हो स्वाध्याय उनका जीवन खाली ही खाली है।
साध्वीमंडल का विहार शुक्रवार को प्रात: ५.५० बजे नेहरू बाजार स्थानक के लिए होगा।

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