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चरित्र निर्माण की शिक्षा नहीं दे सकता चरित्रहीन

कोलकाता. जो स्वयं चरित्रहीन हो वह अपने परिजनों को चरित्र निर्माण की शिक्षा नहीं दे सकता। सत्संग भवन में संगीतमय श्रीराम कथा में भक्ति भजनों की अमृत वर्षा से श्रद्धालुओं को भाव विभोर करते हुए आचार्य धर्मेन्द्र महाराज ने कहा कि रावण और उसकी बहन शूर्पणखा की कामुकता लंका और असुरों के लिए सर्वनाशकारी सिद्ध हुए।

काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईष्र्या-द्वेष, छल-कपट, मदिरा आदि कुवृत्तियाँ मानव के लिए सर्वनाशकारिणी हैं। अपने बाहुबल अथवा सैन्यबल से त्रिलोक विजय करने पर भी उनकी अधोगति निश्चित है। रावण की पत्नी मन्दोदरी सुंदरी थी इसके अतिरिक्त अनेक सुंदर युवतियां रावण के अंतपुर में थी, लेकिन सीता के प्रति रावण की कुत्सित कामना उसके पतन का कारण बनी।

रावण की बहन शूर्पणखा की भी यही स्थिति थी। सत्संग भवन में धर्मेन्द्र ने श्रद्धालुओं को परिवार, समाज में चरित्र निर्माण, संस्कारों की प्रेरणा देते हुए कहा कि मन, वचन, कर्म का संयम और ईश्वर का निरंतर स्मरण करना अपने साथ ही सबके कल्याण का मार्ग है।

आयोजक शंकरलाल हेतमपुरिया, परिवार के सदस्यों, पंडित लक्ष्मीकान्त तिवारी, भागवताचार्य आकाश शर्मा आदि मौजूद थे।

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