*🏳️🌈प्रवचन वैभव🏳️🌈*
1️⃣5️⃣
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71)
अपने लक्ष्य के
अनुसंधान के लिए ही
चातुर्मास की प्राप्ति हुई है.!
72)
प्रायश्चित भाव में
पलभर में संसार को
नष्ट करने का सामर्थ्य है.!
73)
भावधर्म की
सिद्धि के लिए
द्रव्यधर्म का उद्देश्य हैं.!
74)
समकित वासित
क्रिया ही आचरणीय हैं.!
75)
चंचल मन कभी
सही निर्णय
नही करने देगा..
चंचालता को भगाने
निरंतर स्वाध्याय एवं ध्यान
चिंतन का अभ्यास जरूरी है.!
🌧️
*प्रवचन प्रवाहक:*
*मार्गस्थ कृपानिधि*
*सूरि जयन्तसेन कृपापात्र*
श्रुत संस्करणप्रेमी,शिष्यरत्न
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर