—राष्ट्रसंत कमल मुनि की बेबाक टिप्पणी
कोलकाता. भ्रूण हत्या गोहत्या से भी अनंत गुना ज्यादा पाप है। वात्सल्य ममता रूपी मां की कोख में पल रही निर्दोष संतान की हत्या कर अपनी कोख को कत्लखाने के रूप में परिवर्तित करके अबोध बाल मानस को बर्बरतापूर्वक मौत के घाट उतारने वाले दरिंदे मानवता पर कलंक रिश्तों का शर्मसार करने वाली दुरात्मा है।
उनके काले कारनामों से शैतान भी शर्मिंदगी महसूस कर रहा होगा। राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने शुक्रवार को अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच महिला शाखा के समारोह को महावीर भवन में संबोधित करते हुए यह बेबाक टिप्पणी की।
मुनि ने कहा कि भ्रूण हत्या मातृत्व हत्या के समान है। इसके दोषी धार्मिक तो क्या इंसान कहलाने का भी उन्हें अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि उस पवित्र आत्मा को मौत के घाट उतारना साक्षात लक्ष्मी सरस्वती दुर्गा मां को कत्ल करने के समान है और यह क्रूरता
की पराकाष्ठा है। धार्मिकता की दुहाई देने वालों के लिए एक कड़ी चुनौती है। भ्रूण हत्यारे को मानव हत्यारे के समान कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए। पुरुष प्रधान मानसिक विकृति कन्या भ्रूण हत्या के लिए दोषी है जो आज भी लडक़ी को दूसरे नंबर का दर्जा देते हैं पराया धन मानते हैं, जबकि लडक़ा एक कुल को रोशन करता है और लडक़ी 2 कुलों को उज्जवल करती है।
लडक़ी-लडक़ी के लालन पालन में भेदभाव करना घोर पाप है। मुनि ने कहा कि लडक़े और लडक़ी के अनुपात में निरंतर असंतुलन होने के कारण ही आज 1000 व्यक्ति के पीछे 850 बालिकाएं हैं।
कहीं लड़कियों का आयात न करना पड़े?
उन्होंने सवालिया लहजे में कटाक्ष किया कि कहीं आने वाले समय में अन्य वस्तुओं की भांति लड़कियों का आयात न करना पड़े। आज लड़कियां हर क्षेत्र में युवाओं से आगे बढक़र सफलता के झंडे गाड़ रही हैं, नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि संभ्रांत परिवार तथा स्टेटस की विकृत मानसिकता से ग्रसित घरों में यह घटना ज्यादा हो रही हैं।
नारी का सम्मान साक्षात परमात्मा का सम्मान करने के समान है और सभी धर्माचार्यों को मिलकर इस विकृति के खिलाफ वैचारिक क्रांति का शंखनाद करना चाहिए। ऐसे हत्यारों का सामाजिक बहिष्कार हो बेटी बचाओ विश्व बचाओ का अभियान शुरू किया जाना चाहिए। मंजू सुभाष चंद वैद्य मुख्य अतिथि थीं।
बबीता, राजेश भूरट, पुष्पा जैन विशेष अतिथि थे। अर्चना कर्णावट, अनु काकरिया व मंजू कमल भंडारी ने विचार व्यक्त किए। दिवाकर मंच मंत्री कल्पना मुथा, प्रचारमंत्री सुराणा ने संचालन किया। कौशल मुनि ने मंगलाचरण और घनश्याम मुनि ने विचार व्यक्त किए।