जय जिनेंद्र, कोडमबाक्कम् वड़पलनी श्री जैन संघ के प्रांगण में आज तारीख 7 अगस्त रविवार को प.पू श्री सुधाकवर जी मसा ने महाप्रभू भगवान महावीर की मंगलमयी वाणी का वाचन करते हुये श्रावक के छः आवश्यक सूत्रों में से एक सूत्र “सामायिक सूत्र” के महत्व का उपदेश दिया! “स्वस्थ जीवन के लिए सामायिक एक साधना है, उपासना है, महामांगलिक है! सामायिक अनमोल है, सामायिक गृहस्थ जीवन का नंदनवन है! राजा श्रेणिक अपने अशुभ आयुष्य के कारण नरक के दुखों से बचने के लिए पूनिया श्रावक की एक सामायिक को खरीद न सके! सामयिक लेने या देने की वस्तु नहीं है! सिर्फ मुंह पर पट्टी बांध लेने से सामायिक नहीं होती है! सामायिक दो प्रकार की होती है!
1) द्रव्य सामायिक, 2) भाव सामायिक! शुद्ध आसन, मुहपत्ति और चादर ओढ़कर करेमि भंते के पाठ से 48 मिनट तीन प्रकार के सावध्य योग के त्यागी को द्रव्य सामायिक कहते हैं! प्रशंसा या निंदा में, दोस्त या दुश्मन में, अनुकूलता में या प्रतिकूलता में, समता या विषमता में राग द्वेष से मुक्त होकर समभाव में रहकर ग्रहण करने को “भाव सामायिक” कहते हैं!
प.पू. सुयशा श्रीजी म सा के मुखारविंद से:-जहां कहीं भी हमें कुछ अच्छा लगे, जैसे गुण हो या बोल हो या काम हो तो हमें उसका तुरंत सम्मान करना चाहिए अभिनंदन करना चाहिए! यह कार्य बहुत लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है!
हमारे पास दो चीजें हैं – एक है हृदय और दूसरी है बुद्धि। दोनों का जीवन को चलाने में महत्वपूर्ण योगदान है कुछ स्थान ऐसे हैं जहां पर हमें बुद्धि का प्रयोग करना होता है जैसे कि व्यापार। अब व्यापार में अगर हम दिल से काम लेंगे तो व्यापार नहीं कर पाएंगे। इसीलिए बिजनेस में बुद्धि का उपयोग आवश्यक है। लेकिन कुछ स्थान ऐसे हैं जहां पर बुद्धि को हटाकर के हृदय से सोचने की आवश्यकता होती है – जैसे की रिश्तेदारी, धर्म स्थान इत्यादि। अब यहां पर अगर हम बुद्धि से काम लेंगे तो परेशानियां खड़ी हो जाएगी। इसीलिए इन दोनों तत्वों का समझदारी से उपयोग किया जाना चाहिए।
बुद्धि का काम है कैलकुलेशन करना गणित लगाना। लेकिन ह्रदय भावनाओं से काम लेता है, गणित नहीं लगाता और रिश्तो और धर्म में गणित नहीं लगाई जाती बल्कि श्रद्धा और विश्वास से काम लिया जाता है। जैसे हम कोई कमी दिखने पर जल्दी से शिकायत कर देते हैं वैसे ही कुछ अच्छा दिखने पर उसकी प्रशंसा करना भी सीखें। आज की धर्म सभा में श्रीमती सुशीला जी बाफना ने 27 उपवास एवं मनीषा जी लुंकड ने 21 उपवास के प्रत्याख्यान किए। इसी के साथ कई धर्म प्रेमी बंधुओं ने विविध तपस्याओं के प्रत्याख्यान लिए। इसी के साथ आज के धर्म सभा में बिजयनगर (राजस्थान), बेंगलुरु एवं चेन्नई के कई उपनगरों से श्रद्धालु गण उपस्थित हुए।