आलम नगरी धोरीमन्ना में चातुर्मास पूर्णाहूति के उपरांत गुरूवार को परम पूज्य गुरूवर्या साध्वीश्री भव्यगुणाश्री म .सा .आदि ठाणा ने धोरीमन्ना से रामजी की गोल आर्यगुण गुरुकृपा तीर्थ की ओर विहार किया । साध्वीवृन्दों के विहार के दौरान बड़ी संख्या में धोरीमन्ना जैन के श्रावक-श्राविकाएं व सकल संघ उपस्थित रहा ।
श्रोहित जैन बताया कि चातृर्मास के दौरान धोरीमन्ना की आर्यरक्षित नगरी में गुरूवर्या की निश्रा मे भव्य चातुर्मास की आराधना, तप, जप आदि की धार्मिक व सांस्कृतिक क्रियाएं व गतिविधियां हर्ष व उल्लास के साथ सम्पन्न हुई ।
विहार से पूर्व साध्वीश्री ने मौजूद जनसमूह को महामांगलिक सुनाया और गुरू महिमा बताते हुए कहा कि जिस तरह अंधरे मे दीपक की जरूरत होती है उसी तरह जीवन मे गुरु की भूमिका होती है । गुरूवर्या के विहार की घड़ी में श्रावक व श्राविकाओं की आँखे नम नजर आई और स्वयं को भवृक ह्रदय से साध्वीवृन्दों को आगे के विहार हेतु विदा किया ।