आनन्द साधन से नहीं साधना से प्राप्त होता है । आंनद भीतर का विषय है, तृप्ति आत्मा का विषय है ।
मन को तो कितना भी मिल जाए, यह अपूर्णता का बार – बार अनुभव कराता रहेगा ।
जो अपने भीतर तृप्त हो गया उसे बाहर के अभाव कभी परेशान नहीं करते ।
स्वर्ण संयम आराधाक परम पूज्य गुरूदेव श्री वीरेंद्र मुनिजी का चाुर्तमासिक प्रवेश 4जुलाई को सेलम में है। यह आयोजन श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ सेलम द्वारा सेलम के शंकर नगर स्थित महावीर भवन में होगा।