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गुरु ज्ञान के पावर हाउस हैं – साध्वी सुधा कंवर

गुरु ज्ञान के पावर हाउस हैं – साध्वी सुधा कंवर

जय जितेंद्र, कोडमबाक्कम् वड़पलनी श्री जैन संघ के प्रांगण में आज तारीख 23 जुलाई शनिवार , परम पूज्य सुधाकवर जी मसा के मुखारविंद से:-परमात्मा की मंगलमय वाणी महावीर भगवान की मंगलमय वाणी और सम्यक पराक्रम की धर्म चर्चा! गुरुओं की गुण गाथा करके जो अपने आपको विनय धर्म से जोड़ लेता है और, संपर्क में आने वालों को भी जोड़ देता है वह दुर्गति के द्वार को बंद कर देता है और सुगति के द्वार को खोल देता है! गुरु का दर्जा परमात्मा से भी ऊंचा होता है! क्योंकि गुरु ही हमें अज्ञान से ज्ञान की तरफ, अंधकार से प्रकाश की तरफ, आत्मा से परमात्मा की तरफ और मोक्ष के आनंदमयी वातावरण की तरफ ले जाने वाले मार्गदर्शक होते हैं! गुरु के पास पहुंच कर भी विनय नहीं, ज्ञान का प्रवास नहीं तो वह विकृत बल्ब के समान होता है जिसे कितना भी प्रयास कर लो रोशनी नहीं मिलती! गुरु ज्ञान के पावर हाउस हैं, गुरु जीवन के शिल्पी होते हैं और असंस्कारी आत्मा को भी संस्कारी बना देते हैं जैसे परदेसी राजा इत्यादि! गुरु में संपूर्ण विश्वास और आस्था हमारे जीवन को उत्थान की तरफ ले जाता हैं!

प.पू.सुयशा श्रीजी के मुखारविंद से:-हमारे जीवन में तीन अवस्था आती है! बाल अवस्था, यौवन अवस्था और वृद्धावस्था! यह सब समय बताने वाली घड़ी के 3 कांटों की तरह होती है! जैसे हम चाय काफी वगैरह वगैरह के addict होते हैं वैसे ही सम्मान पाने के भी addict होते हैं! बाल अवस्था यौवन अवस्था और वृद्धावस्था, यह सदियों से चली आ रही है सबकी जिंदगी में! हमारी जिंदगी में भी और आने वाली जिंदगी में भी! हमारी जिंदगी में जागृति का होना बहुत आवश्यक है! मन, वचन और काया का एक साथ काम करने को जागृति कहते हैं! सिर्फ तपस्या, उपवास या सामायिक करने को जागृति नहीं कहते!

१)बाल्य अवस्था में जागृत होने वाले उत्तम से उत्तम श्रेणी में आते है!

२)युवा अवस्था में जागृत होने वाले उत्तम श्रेणी में आते है!

3)वृद्धा अवस्था में जागृत होने वाले मध्यम श्रेणी में आता है!

हर कोई के जीवन में इन तीन अवस्थाओं में कोई न कोई सुधार होता है!

4) लेकिन चौथी अवस्था “जघन्य अवस्था” होती है जो कभी भी नहीं बदलते और अपने आप को सुधारने की कोशिश भी नहीं करते!

जागृति का मतलब आंतरिक अवस्था में बदलाव लाना है!आज की धर्म सभा में श्रीमान अशोक जी तालेड़ा ने 20 उपवास, श्रीमती सुशीला जी बाफना ने 12 उपवास, एवं श्रीमती प्रकाश बाई लालवानी ने 11 उपवास के प्रत्याख्यान किए। इसी के साथ कई धर्म प्रेमी बंधुओं ने विविध तपस्याओं के प्रत्याख्यान ग्रहण किए।

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