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गुरु जयमल महाराज का 317 वा जन्म महोत्सव

गुरु जयमल महाराज का 317 वा जन्म महोत्सव

आमेट के वीरपत्ता की पावन भूमि पर एकाभवअवतारी चर्चा चक्रवर्ती युग प्रधान दादा गुरुदेव जयमल जी महाराज साहब का 317 जन्म महोत्सव एवं आचार्य डॉक्टर शिव मुनि जी महाराज एवं साध्वी डॉ चन्द्र प्रभा जी महाराज का जन्म दिवस बुधवार को बड़े हर्षो उलास एवं तेला तप की आराधना द्वारा तपाचार्य जयमाला जी महाराज आदि ठाना 6 वे तेरा पन्थ से साध्वी विशद प्रज्ञा आदि ठाना 4 के शुभ सानिध्य में मनाया गयाl

जिसमें सुबह महावीर भवन से भव्य वरघोड़ा बैंड बाजा के साथ जैन पताका हाथ में लिए सभी श्रावक एवं श्राविकाएं लाइन लगाकर महावीर भवन से शुरू होकर सब्जी मंडी लक्ष्मी बाजार बस स्टैंड होते हुए प्रवचन पंडाल में पहुंचे उसके बाद धर्म सभा की शुरुआत में जैन ध्वजारोहण धर्मचंद जी कोठारी परिवार द्वारा किया गयाl उसके बाद चंदन बाला महिला मंडल द्वारा स्वागत गीत गया गया मीडिया प्रभारी प्रकाश बडोला ने बताया की समारोह के अध्यक्ष मांगीलाल लोढ़ा सिंधु मुंबई एवं विशिष्ट अतिथि कुंभलगढ़ के विधायक सुरेंद्र सिंह राठौड़ एवं मुख्य अतिथि लादू लाल बाफना मुंबई गुरु गुरु अंबे सौभाग्य मंडल संरक्षक दिनेश बाबेल कांकरोली जबरीमल सिसोदिया आमेट तेरापंथ सभा अध्यक्ष यशवंत चौरडिया मूर्ति पूजक संघ अध्यक्ष प्रताप सिंह मेहता, कमल मेहता देवगढ़, भीम से जय आनन्द परमार्थ संस्थान के अध्यक्ष मंत्री भी पधारे रतन लाल मारू गहरीलाल कोठारी, पदम धोख़ा राजेश मुथा सोजत सिटी, जोधपुर से हीरालाल कोठारी सुमेरमल सेठिया एवं सभी गांव के के अध्यक्ष मंत्री विशेष अतिथि के रूप में मौजूद थे जिनका स्वागत सम्मान समारोह सुरेश दक परिवार द्वारा साफ़ा शाल माला द्वारा किया गयाl

साध्वी विशद प्रज्ञा साध्वी विनीत प्रज्ञा साध्वी आनन्द प्रभा साध्वी चन्दन बाला महाराज डॉ साध्वी चन्द्र प्रभा धर्म सभा मे फरमाया की जैन मत के महान संत जयमल महाराज का नागौर की धरती से गहरा नाता रहा है। लांबिया गांव में जन्मे जयमल महाराज की शिक्षा ही नहीं, बल्कि संथारे के साथ नृसिंह चतुर्दशी को देवलोक गमन भी नागौर में ही हुआ था। इन्होंने शांति जिन स्तुति की रचना भी नागौर में की थी। इनके नाम पर सिंघवियों की पोल के पास जयमल जैन पौषधशाला भी है। यहां पर श्वेतांबर समाज समाज के कार्यक्रमों के होने के साथ ही यह जैन मत के संतों की चातुर्मास स्थली के रूप में भी अब प्रतिस्थापित हो चुका है।

शांति जिन स्तुति का सृजन स्थल रहा नागौर

श्वेताम्बर समाज के मूर्धन्य विद्वानों के अनुसार करीब 250 वर्ष पूर्व जयमल महाराज ने नागौर में ही उन्होंने शांति जिन स्तुति की रचना की थी। स्तुति का पठन-पाठन श्वेताम्बर समाज के श्रद्धालु प्रतिदिन करते है। आचार्य जयमल महाराज को एक भवावतारी, अखंड बाल ब्रह्मचारी, आशु कवि, युगप्रधान, चारित्र चुड़ामणि सरीखी उपाधियों से विभूषित किया गया।

आचार्य जयमल जैन मार्ग इन्हीं के नाम पर इनकी स्मृति बनाए रखने के लिए शहर के माही दरवाजा के आगे से तोलावतों की पोल तक स्थित आचार्य जयमल जैन मार्ग इन्हीं के नाम पर रखा गया है। सिंघवियों की पोल के पास जयमल जैन पौषधशाला भवन भी आचार्य के नाम पर ही है। बताते हैं कि इस भवन का निर्माण आजादी के पहले हुआ था। वर्ष 2011 में आचार्य जयमल महाराज के नाम पर डाक टिकट भी जारी हो चुका है। इन्होंने 700 भव्यात्माओं को दीक्षा प्रदान की। बताते हैं कि आचार्य सम्राट जयमल महाराज अनुयायी देश के विभिन्न राज्यों में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी हंै। यह अनुयायी आज भी इनकी पाट परंपरा का पालन करते हंै।22 वर्ष की उम्र मे दीक्षा ली थी l

इस धर्म मे नवकारसी लाभार्थी परिवार सुरेंद्र कुमार सुशील कुमार सूर्या परिवार का स्वागत किया गया एवं गौतम प्रसाद जी के लाभार्थी परिवार नानालाल कोठारी राजेंद्र कोठारी अभिषेक कोठारी परिवार का स्वागत किया गया श्री संघ द्वारा किया गयाl तेला तप के लाभार्थी परिवार नरेश कुमार, लक्ष्य कुमार संचेति का भी स्वागत किया गया, तेला तप करने वाले सभी तपस्वियों को विनोद जी मेदतवाल अहमदाबाद वालों ने चांदी के सिक्कों से स्वागत सम्मान किया l

इस धर्म सभा मे गुरुमाता के सांसारिक परिवार बाफना एवं ससुराल पक्ष पारख परिवार भी इस धर्म सभा में पधारे इस अवसर पर अबेश नव युवक मण्डल आमेट सकल जैन समाज के सभी श्रावक एवं श्रमिकों की अच्छी उपस्थिति रही बाहर के गांव शहरों से भीम बेंगलुरु मुंबई करेड़ा राजाजी का करेड़ा शंभूगढ़ पाटन आसींद जोधपुर पाली कांकरोली अहमदाबाद सोजत सिटी जोधपुर मुकुंद सरदारगढ़ नाथद्वारा उदयपुर देवगढ़ भीलवाड़ा आदि शहरों गांव से सभी श्रावकों ने गुरु माता के दर्शन एवं प्रवचनों का लाभ लियाl

इस धर्म सभा का संचालन रमेश कंसारा ने किया

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