चेन्नई. कोंडीतोप स्थित सुंदेश मूथा भवन में विराजित आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा गुरु का प्रेम मां के स्नेह से बढकर होता है। ऐसा सोचने वाला ही वीतरागी गुरु का प्रेम प्राप्त कर सकता है। अपने गुरु आचार्य विमलसागर की 102वीं जन्म जयंती पर उनका स्मरण करते हुए आचार्य पुष्पदंत सागर भाव विभोर हो गए।
उन्होंने कहा गुरु ने अपने सीने से लगाकर प्रेम-प्यार और आत्मीयता दी। वे हमारे जीवन की निधि हैं। उन्होंने कहा, आचार्य विमल सागर सरल, स्नेही एवं निमित्त ज्ञानी थे। उनकी कृपा मात्र से अनेकों जीवों का उद्धार हुआ।