चेन्नई. संसार में दो प्रकार के व्यक्ति होते हैं, एक आग लगाने वाले और एक -बाग लगाने वाले। इतिहास दोनों का ही लिखा जाता है। निर्णय आपका है- आप किस सूची में अपना नाम लिखवाना चाहेंगे। यह विचार ओजस्वी प्रवचनकार डॉ. वरुण मुनि ने जैन भवन, साहुकारपेट में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा किसी स्थान पर जब आग लगी तो लोग उसे बुझाने का भरसक प्रयत्न कर रहे थे। किसी विचारक ने देखा- एक चिडिय़ा समुद्र से अपनी चोंच में पानी भर कर लाती है और आग बुझाने के लिए उस स्थान पर डालती है।
बार ऐसा करने पर उस विचारक ने देखा चिडिय़ा के पंख भी कुछ जल गए हैं। अपनी हंसी को रोकते हुए विचारक ने पूछा जब इतने लोग बाल्टी भर-भर कर पानी डाल रहे हैं पर आग है कि शांत ही नहीं हो रही तो तुम्हारे चोंच भर पानी से क्या होगा? वो चिडिय़ा मुस्कुराई बोली जनाब मैं जानती हूं कि आग मैं नहीं बुझा पाऊंगी पर कल जब इतिहास लिखा जाएगा तो मेरा नाम आग लगाने वालों में नहीं, बुझाने वालों में आएगा। यह सुनकर उस विचारक का सिर श्रद्धा से झुक गया। थोड़ा विचार करें हम क्या भूमिका निभा रहे हैं अपने घर, परिवार, समाज और देश व पूरे विश्व के लिए। आग लगाने की या बाग लगाने की।
प्रभु महावीर फरमाते हैं जो आग लगाएंगे उन्हें अंगारों की तपश मिलेगी और जो बाग लगाएंगे, उन्हें फूलों की महक मिलेगी आप चिंतन करें – आपको क्या चाहिए।
हमारी भावना है पूरे विश्व में सुख- शांति-अमन-चैन की स्थापना हो।
इसी भावना से यह विश्व शांति जप अनुष्ठान के माध्यम से छोटा सा प्रयास किया रहा है। गुरु आत्म- शुक्ल – शिव- अमर भगवन की पावन जन्म जयंति पर यह एक सुंदर भेंट होगी। इस मिशन में, जप महायज्ञ में अपनी अपनी श्रद्धा की आहूति डालने पधारें। ऐसा श्री एस. एस. जैन श्रावक संघ, साहुकारपेट की ओर से सादर आह्वान है। इस अवसर पर अनेक संत- आचार्य भगवंत एवं साध्वी भगवंत भी पधार रहे हैं।