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गुणव्रत से समरण शक्ति बढ़ती है: पुज्य जयतिलक जी म सा

गुणव्रत से समरण शक्ति बढ़ती है: पुज्य जयतिलक जी म सा

पुज्य जयतिलक जी म सा ने जैन भवन, रायपुरम में प्रवचन में बताया कि श्रुत धर्म, चारित्र धर्म का निरुपणा, चारित्र धर्म-सविरती, पंच महाव्रत देश विरति – 12 अणुव्रत में आंशिक रूप से व्रत को धारण कर मोक्ष मार्ग अग्रसर हो। 5 अणुव्रत का विवेचन हो चुका है अब तीन गुणव्रत का विवेचना। गुणव्रत अणुव्रतों की पुष्टी के लिए है। 5 अणुव्रत में सारा संसार खुला रहता है! किंतु प्रतिदिन उतनी दायरे की आवश्यकता नहीं होती है अत्तः प्रतिदिन जितना चाहिए उतना अल्पीकरण कर कर्मबंध को कम किया जा सकता है।  गुणव्रत से समरण शक्ति बढ़ती है। ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, अन्तराय आदि कर्म टूटते है! दान, लाभ, भोग, उपभोग वीर्य की अन्तराय टूटने से वह अपनी आत्म शक्ती को उजागर कर पराक्रम छोड़ता है। अब छठा दीशा व्रत का

वर्णन, द्रव्य दिशा दस  है। पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, वायव्य अयोयत्य परिमाण लोक का किया जाता है अलोक का नहीं? लोक की आकृति:- कोई  पुरुष अपने पैरो को थोडा चौडा कर कमर पर हाथ रखे तो आकार बनता है। लोक के तीन भाग उर्ध्व लोक में सिद्ध शिला, फिर नीचे देवलोक और नीचे नारकी मध्य में मनुष्य क्षेत्र है जो अढाई द्वीप है शेष बहुत से द्विप समुद्र  है। किंतु आगे जीव नहीं है। जंबूदीप, घातकी खंड, अधेपुष्कर द्वीप में मान्नुतर पर्वत है जहाँ तक मनुष्य क्षेत्र है। इस अढाई द्वीप में 5 भरत 5 एरावत और 5 महाविदेह और 56 अंत द्वीपज है। 30 अकर्म भूमि है।

कर्मभूमि में एक कोटा कोटी सागरोपम झाझरी जितना ही धर्मध्यान होता है। शेष नौ कोटी कोटी  सागरोपम जितने समय में धर्म ध्यान नहीं होता है। अत: भगवान कहते है आप पुण्यशाली है जो कर्म भूमि में भी धर्म प्रर्वतन समय में आपका जन्म हुआ है। अत: इस अवसर का उपयोग करो! इस अढाई द्वीप में बहुत बहुत पाप होते है अत: दिशा की मर्यादी कर ले तो आप बहुत से आश्रव से बच जाओगे। जितनी सिमा अपने खुली रखी है उतना ही दोष लगेगा।   अभी जो दुनिया देखते है वह भूमि पूरा 35000 km जितनी है।

अत: आप 40000 km की मर्यादा करे तो भी विश्व नापा जा सकता है! उसमें भी आप जितना क्षेत्र है उतना रख कर शेष की मर्यादा कर लो! आठ दिशा में 40,000 km से ज्यादा का आपको त्याग और यदि आप मर्यादा कर ले और कोई देव आपको ढाई द्वीप के बाहर ले जाकर पटक देतो आगार। उर्ध्व दिशा :- यदि हवाई जहाज में जाए तो 13 km ही जाती है। अत: हवाई जहाज में जाए तो  13 से  15 k.m तक ही हवाई जहाज तक खुला है। यदि आप सैटलाइट मुन आदि ग्रह पर जाना होतो आगार रख लो। अघो दिशा :- यदि पनडुब्बी जहाज में जाना है तो 12m तक का आगार रख लो।  बिना प्रयोजन के काम के कर्म बंध अधिक होता है।

आठ दिशा  में 40000 km. उर्च अधो में 13KM- 12KM तक के आपको खुला है शेष सभी का त्याग करो! और इसमें भी आप और सीमित मर्यादा लो। आज दसो दिशा की मर्यादा कराई गई और श्रद्धालुओं  ने खुशी खुशी पचखान ग्रहण किये।

प्रवचन के पश्चात प्रेमलताजी मेहता ने  धार्मिक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। करीब 40 महिलाओ ने भाग लिया। सभी को संतावना पुरस्कार तथा 3 विजेताओ को ईनाम संघ की और से दिया गया। कार्यक्रम में मंत्री नरेन्द्र मरलेचा, ज्ञानचंद कोठारी, अजय मेहता, धर्मीचंद कोठारी, मुकेश कोठारी , कमल किशोर कोठारी, जितेन्द्र बोहरा, धर्मेश बोहरा आदि का सहयोग सराहनीय रहा।

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