बीकानेर। हजारों की संख्या में मौजूद नर-नारियों ने एक स्वर में जब गीता का सामूहिक पाठ किया तो पूरा माहौल भक्तिमय जाप से गूंज उठा। श्रीमद् भागवत समिति की ओर से आयोजित कथा के अंतिम दिन धर्मप्रेमी महिलाओं व पुरुषों की मौजूदगी इस बात की साक्षी थी कि धर्म पर आज भी लोग उतना ही विश्वास करते हैं जितना की स्वयं के होने पर।
अवसर था गोपेश्वर महादेव मंदिर में चल रही पितृपक्ष अवसर पर पन्द्रह दिवसीय कथा के समापन सत्र का। कथा समापन एवं सामूहिक गीता पाठ के बाद बड़ी संख्या में नर-नारी सींथल पीठाधीश्वर कथावाचक क्षमारामजी महाराज के सानिध्य में श्रीमद् भागवत कथा को सिरोधार्य कर आश्रम गये।
इससे पूर्व क्षमाराम जी महाराज ने कथावाचन करते हुए कहा कि सदैव सत्य का साथ देना चाहिए और भगवान की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए। भगवान की परीक्षा वही ले सकता है जो भगवान से बड़ा है। परमात्मा संसार से भिन्न थोड़े ही है। वह तो घट.घट वासी अन्र्तयामी है इसलिए यह मानकर चलिए कि परमात्मा सर्वव्यापी है।
क्षमारामजी महाराज ने कहा कि भगवान यह कहते हैं कि अगर आपकी कोई सच्ची निन्दा कर रहा है तो उसमें सुधार करो और कोई गलत कर रहा है तो क्रोध में मत आइए, शांत रहिए। सत्संग हमें यही सिखाता है। साथ ही कहा कि सत्संग भव्यता से कभी बड़ा या छोटा नहीं होताए गंभीर विषय पर जहां चर्चा चल रही हो वही सत्संग बड़ा होता है। सत्संग में जाने से संदेह और शंशय दोनों मिटते हैं।
आयोजन समिति के गोपाल अग्रवाल ने बताया कि कथा के अंतिम दिन सुबह 7:30 बजे यज्ञाचार्यों के सानिध्य में नवग्रह देवी-देवताओं और पितृपूजा का कार्यक्रम एवं 9 बजे हवन किया गया।
तत्पश्चात कथा आरंभ हुई एवं दोपहर में सामूहिक गीता पाठ किया गया। कार्यक्रम में पधारे नगर विकास न्यास के पूर्व अध्यक्ष महावीर रांका का समिति की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया। क्षमारामजी महाराज ने आयोजन में तन-मन से जुटे सेवादारों को आशीर्वाद देते हुए सम्मान चिन्ह प्रदान किए। कथा के अंतिम दिन बड़ी संख्या में गणमान्यजन एवं धर्मप्रेमी सज्जन मौजूद रहे।