चेन्नई. कोडम्बाक्कम जैन स्थानक में विराजित उपप्रवर्तक श्रुतमुनि ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज के मनुष्य की गति सही है पर मति नहीं। शुद्ध स्वभाव, सुंदर वाणी, सुंदर स्वभाव और अच्छे कर्म की पूर्व पुण्यवाणी से हमें मनुष्य गति तो मिल गई लेकिन हमारी मति यानी व्यवहार में कितना परिवर्तन आ गया।
कपड़े पहनने का, जीवन जीने, आदर सत्कार में वाणी में, आहार में, विचार में। जब तक हम इसे परिवर्तित नहीं करेंगे हमारी मति, दिशा, दशा सुधरने वाली नहीं है। यह गहरे चिंतन का विषय है।
आर्य क्षेत्र, मनुष्य भव, उत्तम कुल, पांच इंद्रियां परिपूर्ण, दीर्घआयु, निरोगी काया पूर्व जन्म के पुण्य उपार्जन का ही फल है। इससे आगे बढऩे के लिए ही जिनवाणी श्रवण, श्रद्धा से पुरुषार्थ और आचरण में लाकर जीव अपनी दशा सुधार सकता है।
सिद्ध बुद्ध मुक्त हो अपने जीवन से अज्ञान, द्वेष चिंता, राग, भय जैसे अवगुण निकाले।