चेन्नई.
साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित उपाध्याय प्रवर रवीन्द्र मुनि ने कहा दूसरों को खुशी देने के लिए सबसे पहले खुद को खुश रखना सीखना होगा। इसके लिए जीवन उद्देश्य पूर्ण होना चाहिए। जीवन में कुछ भी करने से पहले अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। लक्ष्य निर्धारित करके चलने वाले व्यक्ति को जीवन में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। जीवन में सुधार लाने के लिए कर्म तो सभी करते हैं लेकिन प्रसन्नता के लिए कर्म करना चाहिए। इसके लिए हमेशा सत्य की राह पर ही चलना चाहिए। जीवन हमेशा खुली किताब की तरह बनाकर रखना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता, क्योंकि यदि व्यक्ति स्वयं ही परेशान रहेगा तो दूसरों को वह खुश कैसे रखेगा। जीवन में बदलाव पाने की ओर ध्यान आकर्षित करना बहुत ही जरूरी होता है क्योंकि जितनी तेजी से ध्यान हमारे जीवन को प्रभावित करता है उतना अन्य किसी के द्वारा जीवन प्रभावित नहीं होता है। व्यक्ति का ध्यान उसे शारीरक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से मजबूत बनाता है।