बेंगलुरु। जीत की आदत डालने या किसी भी आदत के संबंध में आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी ने मंगलवार को अपने प्रवचन में कहा कि हम वहीं हैं जो हम बारम्बार करते हैं। श्रेष्ठता कोई कर्म नहीं, बल्कि एक आदत है।
उन्होंने कहा कि आत्म विकास एवं जीवन में सफलता प्राप्त करना कोई बहुत मुश्किल चीज नहीं है। बशर्ते आप दृढ़ एवं अभ्यासरत रहें। वे आगे बोले, हमारी अच्छी आदतें, स्तर, कार्यक्रम एवं ध्यान बहुत अच्छे परिणाम लाते हैं, जैसा हम चाहते हैं।
हमें अपनी आदतों में बदलाव का बारम्बार अभ्यास करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जीत की आदत पैदा करने का एक अच्छा फायदा यह है कि यह डर को बिल्कुल समाप्त कर देता है। अच्छी आदतों का लगातार आचरण जो कि आप अपने अंदर लाना चाहते हैं, आपको जीवन में चीजों को उसी तरह लेना सिखाता है जैसे वह होते हैं।
यही वह सर्वोत्तम तरीका है जिसके जरिए आप जीवन की समस्याओं से जूझ सकते हैं। आचार्यश्री ने कहा कि बुरी आदतें न केवल हमें नीचे धकेलती हैं, बल्कि हमें अपने श्रेष्ठ स्तर तक पहुंचने से रोकती हैं।
जो हम चाहते हैं यदि वह करते हैं और इसे अपनी क्षमताओं के शिखर तक करते हैं तो यह हमें खुशी प्रदान करती है। वही यदि हम अपनी इच्छाओं के विरुद्ध कार्य करते हैं तो यह चीज हमें दु:खी करती है।
जीत की आदत एवं हमारी खुशी में एक जबर्दस्त रिश्ता है। जीत की आदत का आधार है कि आप शर्म, ग्लानि एवं बेचैनी को अपनी जिंदगी से बाहर कर दें। हम अपनी आदतें बुरी नहीं करते फिर भी हम उनसे जुड़ जाते हैं।
यह इस कारण से होता है कि या तो हम सजग नहीं हैं या फिर हम ऐसी संगत में हैं जिनकी मान्यताएं, व्यवहार एवं आचरण हमसे बिल्कुल अलग हैं।