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क्षमा से बढ़़ती है मानसिक प्रसन्नता: साध्वी डॉ.सुप्रभा

क्षमा से बढ़़ती है मानसिक प्रसन्नता: साध्वी डॉ.सुप्रभा

चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित साध्वी कंचनकंवर व साध्वी डॉ.सुप्रभा के सानिध्य में साध्वी डॉ. इमितप्रभा ने कहा उत्तराध्ययन में प्रभु ने कहा है क्षमा से मानसिक प्रसन्नता बढ़़ती है। व्यक्ति में जब क्षमा आती है तो अहिंसा और सत्य से मैत्री होती है, वह निर्भय हो जाता है।

जीवन में क्षमा है तो जीवन निराला अनूठा होता है। क्षमा से स्नेह, शील, वात्सल्य और तेज की फसल तैयार होती है। साधु के दस धन में से एक क्षमा है। पर्यूषण पर्व पर क्षमा गुण की आराधना करते हैं, इसे मैत्री पर्व भी कहते हैं। क्षमा पृथ्वी के समान सबकुछ सहती है। प्रभु ने कहा है मुनि भी पृथ्वी के समान सहनशील बनें।

क्षमा के दो गुण हैं सहनशीलता और मैत्री। हर परिस्थितियों को सहन करता है क्षमाशील व्यक्ति। क्षमा के पांच प्रकार हैं- पहला उपकार क्षमा। जिन्होंने आपको सहयोग किया उसकी गलतियों को क्षमा करना। दूसरा अपकार क्षमा। जैसा क्रोध कर रहे हैं वैसा क्रोध वह सामनेवाला भी करेगा तो शत्रुता बढेगी ऐसा विचार कर उसे क्षमा कर देना।

तीसरा विचार क्षमा। मैं क्रोध कर रहा हंू तो उसका क्या फल होगा यह विचार कर क्षमा करना। चौथा आज्ञा क्षमा। बड़ों ने जो आज्ञा दी है उसका पूरा पालन करना आज्ञा क्षमा है। पांचवां आत्मा का स्वभाव ही क्षमा है इसे जानकर क्षमा धारण करना धर्म क्षमा है। यह सबसे उत्कृष्ट मानी गई है। क्षमा धारण करने से कर्मों की निर्जरा होती है।

साध्वी डॉ. उन्नतिप्रभा ने कहा उत्तम विचार और ज्ञान को राजा या रंक, अमीर या गरीब जिसके पास भी मिले उसे ग्रहण करना चाहिए। गुण उस सोने की तरह है जो गंदी जगह पड़ा रहने पर भी मूल्यवान है। महान व्यक्ति गुण नहीं छोड़ता।

इस संसार के सभी प्राणियों में गुण भी हैं और दोष भी हैं। इस जगत से हम क्या ग्रहण करते हैं यह हम पर निर्भर है। प्रभु कहते हैं कि मनुष्य को अपना विकास करना है तो गुणग्राही बनना होगा।

छोटा-बड़ा, बच्चा सभी में कुछ-न-कुछ गुण अवश्य होते हैं, उन्हें ग्रहण करेंगे तो जीवन सफल होगा। परमात्मा ने कहा है मानव को गुण ग्रहण करना और अवगुण को छोड़ देना है।

बुरे लोगों का संग न करें, किसी की बुराइयों को भी नहीं देखें, किसी में गुण देखें तो उनकी प्रशंसा जरूर करें और अपनाएं तो जीवन धन्य बन जाए।

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