चेन्नई. किलपॉक स्थित कांकरिया भवन में विराजित साध्वी मुदितप्रभा ने जिनशासन की पुकार प्रवचन माला में मंगलवार को कहा आनादिकाल से शरीर के साथ रोग जुड़ा हुआ है। कर्म को काई शर्म नहीं है। कर्म किसी के साथ भेदभाव नहीं करता है।
पूर्व के भव में बाहुबली ने साधु-साध्वी की उत्कृष्ट सेवा की तो उसके परिणामस्वरूप उनकी भुजाओं में अत्यंत बल आया। शुभ परिणामों से अपनी असुची भी दूसरों के लिए दवाई बन सकती है। रोग प्राकृतिक न्याय है।
मेरे द्वारा भूतकाल में की गई भूल को सुधरना के लिए रोग आता है। सौ रोगों की एक ही दवा एक तप है। जितना व्यक्ति क्षमाशीलता को अपनाता है उतना पुण्य का संग्रह होता है।
जितने कषाय बढ़ते है उतने ही पाप का संग्रह भी होता है। साध्वी इंदुबाला ने मंगलपाठ सुनाया। यह विज्ञपति श्री एस एस जैन संघ किलपाक के अध्यक्ष सुगंचन्द बोथरा ने दी।