अपने भीतर उठने वाली क्रोध की ज्वाला से अगले का नुकसान हो या नहीं, लेकिन उसमें अपने सब सद्गुण जलकर स्वाहा हो जाते हैं। क्रोध अनर्थों की खान है, जिसमें इंसान अंधा बन जाता है। जब ज्ञानी से ज्ञानी आत्मा में भी पागलपन का भूत सवार हो जाता है, तो उस समय वह चांडाल से कम नहीं होते। राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने गुरुवार को पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के संवत्सरी समारोह को संबोधित करते हुए यह उद्गार व्यक्त किए।
मुनि ने कहा कि जैसे आग से आग को कभी समाप्त नहीं किया जा सकता, ठीक वैसे ही क्रोध से कभी क्रोध को नहीं जीता जा सकता। क्रोध वर्षों के प्रेम को एक क्षण में तोड़ कर आपस में जहर घोल देता है। खून के रिश्ते में कड़वाहट घोल देता है। मुनि ने कहा कि विश्व के सभी धर्मों ने क्रोध को अत्यंत खतरनाक बताया है, क्योंकि आत्मा को दुर्गति का मेहमान भी यही बनाता है। वर्षों की तप-तपस्या, दान और तीर्थ क्रोध की चिंगारी में स्वाहा हो जाते हैं। राष्ट्रसंत, कमल मुनि कमलेश, राष्ट्रसंत ने कहा कि वह ज्ञानी भी अज्ञानी है जिसने क्रोध का काला नाग पाल रखा है।
क्रोध पर विजय पाने वाला ही सच्चा विद्वान, तपस्वी और पंडित है। जैन संत ने कहा कि क्रोध में आंखें लाल हो जाती है, धडक़न बढ़ती है ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक जैसे खतरनाक रोगों का मनुष्य शिकार हो जाता है। खुद की शांति भंग हो जाती है। अहंकार ही क्रोध की जननी है। मुनि ने कहा कि क्रोध का प्रभाव सामने वाले इंसान पर तो क्या पशु-पक्षी और प्रकृति तक पर पड़ता है। इसलिए क्षमा के माध्यम से ही क्रोध को जीता जा सकता है। क्षमा ही तप-साधना है और उसी में मोक्ष का निवास है। वीर आदमी ही क्षमा कर सकता है कायर नहीं। उपासना पद्धति का लक्ष्य ही क्रोध को नियंत्रण करने का होता है। क्रोध पर काबू पाने वाला विजेता विश्व विजेता से बढक़र है।
क्रोध अणु-परमाणु बम से ज्यादा खतरनाक है, जो द्रव्य और भाव दोनों को कुचल देता है। क्रोध अपने आप में राक्षस का दूसरा रुप है। अगर हम अपने पापों का पश्चाताप करआत्मा को निर्मल बनाते हुए जाने-अनजाने अपराधों के लिए क्षमा मांगते हुए अपनी आत्मा को निर्मल और पवित्र बना दें तभी धर्म के अधिकारी बनेंगे। क्षमा दान महादान है और क्षमा मांगने-देने वाला पूजनीय। कौशल मुनि ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया। बाल-युवा-बुुजुर्ग और महिलाओं ने आलोचना तपस्या-प्रतिक्रमण कर आत्म शुद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।
संवत्सरी समारोह में काफी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। तपस्वी घनश्याम मुनि के 40 उपवास पर 15 सितंबर को महावीर सदन में कोलकाता के 20 महिला मंडलों की ओर से भक्ति-गीत कार्यक्रम दोपहर 2 बजे होगा। संवत्सरी समारोह में श्रावक-श्राविकाओं ने खुल कर दान दिया। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष अक्षय संजय भंडारी, केवल चंद, प्रकाश चंद, दिलीप मेहता और मोहित बच्छावत ने आभार व्यक्त किया और संचालन मंत्रीजी एस पीपाड़ा ने किया।