श्री जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में वेपेरी स्थित जय वाटिका मरलेचा गार्डन में जयधुरंधर मुनि के सानिध्य में लोकाशाह जयंती मनाई गई। इस अवसर पर मुनि ने कहा भगवान महावीर का शासन 21000 वर्ष तक नदी की धारा की तरह अविरल प्रवाहित होता रहेगा और समय-समय पर कियोधारक महापुरुषों का अवतरण होता रहता है। ऐसे ही एक क्रांतिकारी वीर लोंकाशाह का जन्म 605 वर्ष पूर्व कार्तिक शुक्ला पूर्णिमा के दिन हुआ।
अरहठवाड़ा (सिरोही जिला) में जन्मे, अहमदाबाद में हीरे- जवाहरात का व्यापार करने गए, पाटण में यात्रियों के संपर्क में आए एवं सुंदर अक्षर लिखने की कला ने जो उनको अवसर प्रदान शास्त्र पढ़ने का, वहीं से शुरुआत हो गई सत्य धर्म प्रचार की। 400 साधु साध्वियों एवं लाखों श्रावक-श्राविकाओं के लोंकागच्छ ने धर्म का प्रकाश चहुं दिशाओं में फैलाया। लोंकाशाह ने तो ज्ञान का अमृत बांहा लेकिन किसी व्देषी ने तेले के पारणे में विष मिलाकर उनके प्राणों का दुखद अंत कर ड़ाला।
श्रावक के 21वें गुण का वर्णन करते हुए मुनि ने कहा प्रमाद के वश व्यक्ति अपने अमूल्य समय को बर्बाद कर देता है और जो समय को बर्बाद करता है वह स्वयं बर्बाद हो जाता है l समय उस बहते पानी की तरह है जो एक पल भी नहीं रुक सकता है l समय बड़ा बलवान है, जिसके आगे किसी का जोर नहीं चलता है l समय ही मनुष्य की गति व प्रगति का केंद्र बिंदु है l
जैसे हीरे की कीमत जौहरी ही जानता है, उसी प्रकार समय की कीमत जानने वाला व्यक्ति ही महान होता हैl सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त आदि सभी प्रकृति जन्य कार्य भी समयानुसार ही होते हैंl समय पर किए गए कार्य ही सिद्ध होते हैंl मनुष्य को हर पल हर क्षण का सदुपयोग करते हुए जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।
व्यक्ति सोचता तो बहुत कुछ है कि मैं यह करूंगा, वो करुंगा ऐसा करूंगा, वैसा करुंगा, लेकिन समय बीत जाने पर भी कुछ नहीं कर पाता। समय रहते अवसर का लाभ उठाने वाला ही जीवन में सफल होता है। एक बार मौका चूकने के बाद वह वापस नहीं आता। अतः मनुष्य जीवन का दुर्लभ अवसर जो प्राप्त हुआ है उसे व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए।
मुनिवृंद का विहार प्रातः 8:30 बजे बिन्नी मिल की ओर होगा। जहां आचार्य जयमल का 290 वां दीक्षा दिवस 14 नवंबर को मनाया जाएगा।