श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ कम्मनहल्ली में कर्नाटक तप चंद्रिका प.पू. आगमश्रीजी म.सा. ने बताया मानव भव पाने के बाद जिनवाणी का श्रवण अति महत्व का है। कोहिनूर हीरे के समान है प्रभु के वचन। इन वचनों को सुनकर छ: खंड के अधिपति चक्रवर्ती भी राज्य को छोड़ देते हैं पर हमने श्रवण के बाद क्या-क्या छोड़ा।इच्छा, लालसा, लोभ, तृष्णा को नहीं छोड़ा तो भव भ्रमण ही है। दरिद्र कौन है, सदा मांगते जा रहे हैं।
प.पू. धैर्याश्रीजी म.सा. ने प्रवचन के माध्यम से बताया कंचन वर्णि देही मिली है इसकी कद्र करो। बहिरात्मा,अंतरात्मा, परमात्मा के बारे में बताया। मंत्री हस्तीमल बाफना ने अभिवादन किया। अध्यक्ष विजयराज चुत्तर ने स्वागत किया। संचालन सुधीर सिंघवी ने किया।