*💎प्रवचन वैभव💎*
*✨सद् उपदेशक:✨*
*शासन समर्पित सद्गुरु*
*सूरि जयन्तसेन कृपाप्राप्त*
श्रुत साधक क्षमाश्रमण
श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
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🪷
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हितकारी
अति आवश्यक
कोमल भाषा का
प्रयोग करना भाषाविनय है.!
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जनप्रियता के मूल है
सदाचार एवं मधुरभाषा.!
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देह में मस्तक का,
वृक्ष में मूल का जो स्थान है,
वही स्थान साधना में ध्यान का.!
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जिस समय
परमानंदी आत्मा की
अनुभूति होती है उसी क्षण
अज्ञानरूपी भ्रम नष्ट हो जाता हैं.!
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सुक्ष्म से सूक्ष्म
पर पीड़ा भी न हो
उसकी जागृति रखनी..
किसी का भला करने में
पूर्णशक्ति अनुसार कार्य करना.!