Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

कोमल भाषा का प्रयोग करना भाषाविनय है

कोमल भाषा का  प्रयोग करना भाषाविनय है

*💎प्रवचन वैभव💎*

 

*✨सद् उपदेशक:✨*

*शासन समर्पित सद्गुरु*

*सूरि जयन्तसेन कृपाप्राप्त*

श्रुत साधक क्षमाश्रमण

श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.

✒️

1️⃣2️⃣4️⃣

🪷

*_616)_*

हितकारी

अति आवश्यक

कोमल भाषा का

प्रयोग करना भाषाविनय है.!

*_617)_*

जनप्रियता के मूल है

सदाचार एवं मधुरभाषा.!

*_618)_*

देह में मस्तक का,

वृक्ष में मूल का जो स्थान है,

वही स्थान साधना में ध्यान का.!

*_619)_*

जिस समय

परमानंदी आत्मा की

अनुभूति होती है उसी क्षण

अज्ञानरूपी भ्रम नष्ट हो जाता हैं.!

*_620)_*

सुक्ष्म से सूक्ष्म

पर पीड़ा भी न हो

उसकी जागृति रखनी..

किसी का भला करने में

पूर्णशक्ति अनुसार कार्य करना.!

 

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar