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ज्ञान वाणी

कृतज्ञता व्यक्त करें और स्वीकार भी करें, यह धर्म है : उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि

कृतज्ञता व्यक्त करें और स्वीकार भी करें, यह धर्म है : उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि

चेन्नई. रविवार को श्री एएमकेएम जैन मेमोरियल, पुरुषावाक्कम में विराजित उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि एवं तीर्थेशऋषि महाराज ने कहा कि पंचम गंधर्व सुधर्मास्वामी द्वारा प्रदत्त पुच्छीशणं में हर पंक्ति में भक्ति का एक नया आयाम दिया है। वे कहते हैं कि जो विश्व के कल्याण की राह पर चलता है वह उसमें बाधक तत्त्वों से लड़ता है। धर्म नीति मूल्यों के लिए लडऩे वाला योद्धा भी सर्वश्रेष्ठ बनता है। वासुदेव और चक्रवर्ती अपने लिए नहीं लड़े बल्कि वे विश्व कल्याण और सहयोग के रास्ते में आड़े आने वाले तत्त्वों से लड़े।

ऐसा व्यक्ति प्रकाशग्राही अरविंद पुष्प के समान सर्वश्रेष्ठ बनता है। परमात्मा ने कहा है कि पदार्थों की भी प्रशस्त और प्रकाशमय लेश्या ग्रहण करें

ऐसा व्यक्ति प्रकाशग्राही अरविंद पुष्प के समान सर्वश्रेष्ठ बनता है। परमात्मा ने कहा है कि पदार्थों की भी प्रशस्त और प्रकाशमय लेश्या ग्रहण करें, अप्रशस्त नहीं। दिन में पदार्थों के वर्ण,रस, गंध और स्पर्श सकारात्मक या प्रशस्त और रात्रि में नकारात्मक या अप्रशस्त हो जाती है। स्वयं के कल्याण करने वाले संत, ऋषि और योगी बन सकते हैं लेकिन जो परकल्याण के मार्ग पर चलता है वही तीर्थंकर परमात्मा हैं, वे किसी का सहयोग और सेवा लेकर नहीं बल्कि अपने बल पर साधना करते हैं। उन्होंने कहा कि सहयोगी की कृतज्ञता व्यक्त करें और स्वीकार भी करें, यह धर्म है।

धर्मसभा में तीर्थेशऋषि महाराज के सांसारिक मातापिता कैलाश तातेड़, उषाबाई और बहनबहनोई प्रिया, सचिन ख्ंिावसरा का स्वागत किया गया।

चातुर्मास समिति के सहयोगी कृतज्ञता कार्यक्रम में चातुर्मास समिति के अध्यक्ष अभयश्रीश्रीमाल ने कहा कि चातुर्मास समिति में जुडऩे का अनन्त आभार उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि एवं तीर्थेशऋषि महाराज तथा चातुर्मास समिति में सहयोगी सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि चार महीने बीत गए धर्म की वर्षा होती रही समय का पता ही नहीं रहा। चारों संप्रदायों और संतों की सभा चातुर्मास स्थल पर होना बड़े ही सौभाग्य की बात है। उन्होंने इस अवधि में बड़ी संख्या में धर्मनिष्ठ श्रावक

उन्होंने कहा कि चार महीने बीत गए धर्म की वर्षा होती रही समय का पता ही नहीं रहा। चारों संप्रदायों और संतों की सभा चातुर्मास स्थल पर होना बड़े ही सौभाग्य की बात है। उन्होंने इस अवधि में बड़ी संख्या में धर्मनिष्ठ श्रावकश्राविकाओं द्वारा तपस्याएं करने वालों के तपआराधना की अनुमोदना की। आनन्दऋषि जन्मोत्सव के साथ अनेकों संतों की जयंतियां और नए स्थानक बनाने के लिए श्री एएमकेएम धर्मपेढ़ी की स्थापना ऐतिहासिक रहा।

अर्हम कपल की पुस्तक का दो भाषाओं में विमोचन, अर्हम विज्जा के केन्द्र और स्थाई ऑफिस का उद्घाटन सहित दान, धर्म,अहिंसा, जीवदया के अनेकों कार्य संपन्न हुए। निर्वाण कल्याणक की 21 दिन की उत्तराध्ययन सूत्र की आराधना में श्रद्धालुओं की धर्म के प्रति निष्ठा अविस्मरणीय है। अजैन लोगों को भी धर्म की आराधना से जोड़कर शाकाहारी जीवन अपनाने की प्रेरणा से अर्हत श्रीÓ के पुरस्कार से ललिता जांगड़ा को सम्मान तथा एएमकेएम ट्रस्ट में नए ट्रस्टियों का शामिल होने जैसे बड़े कार्य संपन्न हुए।

उन्होंने चातुर्मास समिति के चेयरमेन नवरतनमल चोरडिय़ा, सचिव अजीत चोरडिय़ा, कार्याध्यक्ष पदमचंद तालेड़ा, अभिषेक तालेड़ा, कोषाध्यक्ष जेठमल चोरडिय़ा, यशवंत पुगलिया, किशन तालेड़ा, धर्मीचंद सिंघवी, शांतिलाल सिंघवी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने उपाध्याय प्रवर से भविष्य में भी इस प्रकार का सौभाग्यशाली अवसर प्रदान करने की भावना व्यक्त की।

चातुर्मास समिति के महामंत्री अजीत चोरडिय़ा ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि उपाध्याय प्रवर के आशीर्वाद और साथी पदाधिकारियों व सहयोगियों के अमूल्य सहयोग से ही मैं धार्मिक क्रियाकलापों से न जुड़ा होने पर भी चातुर्मास में महामंत्री पद की जिम्मेदारी निभा पाया। पर्युषण महापर्व की आराधना, 21 दिनों की उत्तराध्ययन श्रुतदेव की आराधना तथा अनेकों शिविर और भक्तिआराधना के कार्यक्रमों से जुडऩा सौभाग्य की बात है। उन्होंने अपनी महामंत्री की रिपोर्ट को चातुर्मास की झलकियों के वीडियो क्लिप के माध्यम से प्रदर्शित किया।

चातुर्मास समिति के पदाधिकारियों ने धर्मसभा समिति, आवास व्यवस्था समिति, तपस्या पारणा समिति, एएमकेएम महिला मंडल, आनन्द तीर्थ महिला परिषद, वैयावच्च गोचरी समिति, एएमकेएम यूथ एसोसिएशन, विहार समिति, भोजन व्यवस्था समिति, तपस्या पारणा समिति, नवकारसी समिति, आनन्द जन्मोत्सव समिति का आभार ज्ञापन करते हुए उन्हें माला और मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया।

इस अवसर पर अमरचंद भंडारी, उत्तमचंदगोठी, गौतमचंद कांकरिया, कमलचंद खटोड़, कमल छल्लाणी, महावीर सुराणा, सुरेशडंूगरवाल, सज्जनराज भंडारी, कमल कोठारी, महेन्द्र विनायकिया, सुनिल विनायकिया, राजेश गुगलिया, इंदरचंद भंसाली, विजयराज कटारिया, दीपक श्रीश्रीमाल, सुनिल कोठारी, राजू करनावट, राजकुमार चोरडिय़ा, राजकुमार सुराणा, विजयराज बोहरा, पदमचंद सुराणा, कमलेश कुमार नाहटा, मोहनचंद छाजेड़, मनोजकुमार नाहटा, गौतम कटारिया, वसंतकुमार, सुरेशकुमार पुंगलिया, गौतमचंद गुगलिया, महेन्द्र गुगलिया, उत्तम सुराणा, सुगनचंद लुंकड़, हंसराज नाहर, सुरेन्द्र चोरडिय़ा, सज्जनराज कोठारी, अशोककुमार पुगलिया, महेन्द्र बरडिय़ा, धर्मीचंद कोठारी, भागचंद बरडिय़ा, दिलीप बरमेचा, रूपेश बरमेचा, महावीर खाबीया, संजय भंसाली, महावीर कुंभट के साथसाथ मोहनीदेवी चोरडिय़ा, मैनाबाई तालेड़ा, कांताबाई चोरडिय़ा, ललिता जांगड़ा, कंचन चोरडिय़ा, उषा श्रीश्रीमाल, सरोजबाई कोठारी, सविता पुगलिया, उषा सुराणा, अलका बम्ब, मंजु चौधरी, विजया बोहरा, प्रेमा बंब, निर्मला गुंदेचा, शांति भंसाली, सुशीला बोहरा सहित प्राज्ञ जैन संघ पुरुषवाक्कम, एसएस जैन संंघ नॉर्थ टाऊन, एसएस जैन संंघ कोसापेट, एसएस जैन संंघ पेरम्बूर के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

उपाध्याय प्रवर व तीर्थेशऋषि महाराज की प्रेरणा से चल रहे कार्यक्रम अष्टमंगल मेडिटेशन टीम, पुरुषाकार टीम, अर्हम मंत्रदीक्षा टीम, आनन्द जन्मोत्सव समिति, अष्टमंगल मेडिटेशन टीम, अर्हम पुरस्कार टीम, ब्लैशफुल कपल टीम, डिस्कवर योर सेल्फ, उड़ान टीम, अर्हम गर्भ संस्कार, बींग अर्हत टीम, अर्हम पैरेंटिंग टीम के पदाधिकारियों सहित अनेक श्रावकश्राविकाएं उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में गौतम निधि के कलश समर्पण कार्यक्रम संपन्न हुआ।

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