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काशी के कण-कण में अनंत दैवीय शक्तियां, पवित्र एवं श्रद्धा से लाभान्वित हो जाएं : पूज्यश्री वसंतविजयजी म.सा.

काशी के कण-कण में अनंत दैवीय शक्तियां, पवित्र एवं श्रद्धा से लाभान्वित हो जाएं : पूज्यश्री वसंतविजयजी म.सा.

“काशी का पुराधि नाथ काल भैरव भजे..”

संगीतमय भैरवाष्टकम एवं कष्ट हर भैरव स्तुतियों का गुंजायमान हुआ काशी कोतवाल भैरव उत्सव में

अष्ट दिवसीय भैरवाष्टमी महापर्व में नौ कुंडीय हवन यज्ञ में दी जा रही आहुतियां, साथ ही विशाल भंडारा भी शुरू

वाराणसी। काशि का पुराधिनाथ काल भैरवम भजे.., भैरव वेशम कष्ट हरम.. सहित भैरव देव की महिमा का संगीतमय गुणगान गुंजायमान राष्ट्रसंत, भैरव देव के सिद्ध साधक श्रीकृष्णगिरी शक्तिपीठाधीपति, पूज्यश्री वसंतविजयजी महाराज के श्री मुखारविंद से। अवसर था अष्ट दिवसीय काशी कोतवाल भैरव उत्सव 2022 के आगाज़ का। स्थानीय रामनाथ चौधरी शोध संस्थान में इस दौरान उन्होंने कहा कि भैरव के विभिन्न रूप, विभिन्न स्वरूप, विभिन्न पूजा, विभिन्न वाहन, विविध विशिष्टताएं हैं।

देश और दुनिया भर से आए श्रद्धालु दैवीय पवित्र धरा काशी में भैरव का सिर्फ पूजन ही नहीं करेंगे अपितु देव तुल्य बनकर भैरव मूर्तियों को जन्म देने का अवसर भी सभी को मिलेगा। वे बोले, जिस प्रकार एक संतान को जन्म देने के बाद आप की अगली पीढ़ी सुरक्षित हो जाती है उसी प्रकार एक भैरव की मूर्ति को जन्म दे दिया तो अगली सौ पीढ़ी सुरक्षित हो जाएगी। तमिलनाडु के श्रीकृष्णगिरी तीर्थधाम के शक्तिपीठाधीपति, राष्ट्रसंत डा. वसंतविजयजी महाराज ने काशी कोतवाल भैरव उत्सव–2022 के प्रथम दिन श्रीभैरव महाकथा वाचन में बुधवार मार्ग शीर्ष मास की प्रथमी तिथि पर भगवान गणेशजी के 108 नामों से पूजन के उपरांत भक्तों से भाव पूजन कराया।

इस मौके पर उन्होंने कहा कि काशी की मिट्टी, वह मिट्टी है, यहां के कण कण में दैवीय शक्ति है।23 वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ सहित चार तीर्थंकरों का यहां जन्म हुआ। यहां की मिट्टी में पार्श्वनाथ, विश्वनाथ, अनेक देवी देवताओं व महापुरुषों की साधना तप की सुगंध है। संतश्रीजी ने कहा कि इस मिट्टी में मेरे आराध्य प्रभु पार्श्वनाथ महाराज भी नंगे पांव चले थे। घाट घाट पर उनके चरण पड़े हैं। यही भूमि है जहां हमारे प्रभु ने दीक्षा ग्रहण की थी। इस धरती पर भैरव का पूजन करने का आनंद ही विशेष है। यही कारण है कि मैं काशी आकर बहुत प्रसन्न हो रहा हूं।

प्रवचन आरंभ करने से पहले पूज्य डा. वसंतविजयजी माहाराज ने सभी भक्तों को संकल्प भी कराया। वह जो वाक्य बोलते गए भक्तगण उसे श्रद्धापूर्वक दोहराते गए। ‘प्रभु मेरा काशी प्रवास शुभ हो, काशी का दर्शन, इस पावन क्षेत्र का स्पर्श मेरे लिए शुभदायी बने।’ पूज्यश्री वसंतविजयजी महाराज के शब्दों को हजारों की संख्या में बैठे भक्त दोहराते रहे। मेरा जीवन बदल गया है। सद्मार्ग हमारे लिए खुल गए हैं। जब इस भाव से आप काशी में अपना समय व्यतीत करेंगे तो श्रध्दा और विश्वास से इसका फल अवश्य मिलेगा।

इस दौरान डा. वसंतविजयजी महाराज ने कहा कि हमारे शास्त्रों में विधान है कि पूजन के निमित्त मनोवांछित सामग्री-वस्तु न भी हो तो उसका भाव से स्मरण कर देवों को समर्पित किया जाए तो उसे भी देव स्वीकार करते हैं और वैसे ही आशीर्वाद भी प्रदान करते हैं। गणेश पूजन के बाद क्षेत्रपाल और द्वारपाल का पूजन, काशी विश्वनाथ तक प्रार्थना पहुंचाने की कामना से किया। कथा प्रसंग पर पहुंचने से पहले उन्होंने भैरवाष्टकम् का पाठ किया। उन्होंने कहा कि संसार श्रद्धा उसकी करता है जिसे जान लेता है। मान लीजिए आधी रात के वक्त कोई आप का दरवाजा खटखटाता है तो पहले तो आप को बुरा ही लगेगा। कौन आ गया इतनी रात में लेकिन दरवाजा खोलने पर जब यह पता चलेगा कि वह कोई ऐसा व्यक्ति है जो आप के लिए बहुत बड़ी खुशी का समाचार लाया है, तत्काल आप का व्यवहार, आप की सोच उसके प्रति बदल जाएगी। जब आप उसके बारे में जान गए तो उसके प्रति श्रद्धा हो गई जब तक नहीं जानते थे उसके प्रति मन में नाराजगी थी, अनिच्छा थी।

आज होगी सौ फीट के विशाल भैरव व 9–9 फीट अष्ट भैरवमूर्तियों की स्थापना..

एक दिवस पूर्व चंद्र ग्रहण के कारण आयोजन स्थल पर अति विराट सौ फीट के भैरवदेव की मूर्ति स्थापित नहीं किए जाने की जानकारी के साथ उन्होंने बताया कि यह मूर्ति व अन्य आठ दिशाओं में कष्टों को मिटाने वाली, सर्व सुख देने वाली अष्ट भैरव की 9–9 फीट की दर्शनीय मूर्तियां स्थापित की जा रही है। साथ ही विश्व इतिहास में पहली बार एक साथ 4–4 फीट की एक लाख आठ हजार भैरव की मूर्तियों का निर्माण व एक लाख आठ हज़ार भैरव की इन निर्मित मूर्तियों की एक साथ पुष्प, दीपक, नवैद्य, धूप आदि से एक साथ पूजन किया जाएगा।

पूजा, जप, आराधना से शुरु हुआ कार्यक्रम, हवन में दी गई आहुतियां..

 

इससे पूर्व राष्ट्रसंत पूज्यश्री वसंतविजयजी महाराज साहब की निश्रा में प्रातः के सत्र में पूजा, जप, साधना, आराधना से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। साथ ही शाम के सत्र में तमिलनाडु के चिदंबरम स्थित नटराज मंदिर के 30 विद्वान पंडितों के द्वारा नौ कुंडीय हवन यज्ञ में आहुतियां दी गई। रात्रि में मशहूर भजन गायक कलाकार अभिलिप्सा पंडा द्वारा भक्तिमय प्रस्तुतियां दी गई।

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