आचार्य भिक्षु जन्म एवं बोधि दिवस का आयोजन
साध्वी अणिमाश्री के सान्निध्य में तेरापंथ भवन साहुकारपेट में तेरापंथी सभा के तत्वावधान में आचार्य भिक्षु का जन्मोत्सव एवं बोधिदिवस मनाया गया।
साध्वी अणिमाश्री ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा – हर व्यक्ति के भीतर यह कामना रहती है कि मैं कालजयी बनूं। मेरा नाम अमर बने, किन्तु यह सनातन सत्य है कि व्यक्ति कभी कालजयी नहीं बन सकता। जिस व्यक्ति के भीतर परिस्थितियों और प्रतिकूलताओं को सहने की क्षमता है तथा धृतिबल अडिग है, वह कालजयी बन सकता है। कालजयी महापुरुषों की श्रृंखला में एक नाम है – आचार्य भिक्षु का। जिन्होंने विषम परिस्थितियों को समता से सहन किया। उनका धैर्य हिमालय की तरह अडोल था।
विकट से विकट परिस्थितियों में भी वो विचलित नहीं हुए, इसलिए वो कालजयी बन गए। उन्होंने अपने प्रबल पराक्रम के द्वारा साधना के पथ को नई राह दी। नए मार्ग में विरोधों के भूचाल व तूफान ही नहीं बल्कि सुनामी आई, प्रलयकारी हवा आई, पर वो रुके नहीं, झुके नहीं, हटे नहीं, मेरु पर्वत की तरह अडिग रहे। साधना के सुमेरु, बोधि प्रदाता आचार्य भिक्षु को शत-शत नमन।
साध्वी सुधाप्रभा ने कहा- आचार्य भिक्षु के गुणों को चून-चुनकर अपने जीवन के मोतियों की माला बनाएं। उनके गुणों को आत्मसात कर लिया तो हमारा जीवन शानदार बन जाएगा।साध्वी कर्णिकाश्री, साध्वी सुधाप्रभा, साध्वी मैत्रीप्रभा, साध्वी समत्वयशा ने बोधि-दिवस पर गीत प्रस्तुत किया।
तेरापंथ सभा मंत्री श्री गजेन्द्र खांटेड, तेयुप अध्यक्ष श्री मुकेश नवलखा, महिला मंडल से श्रीमती कंचन भंडारी, श्री राकेश खटेड़ ने अपने भावों की सारगर्भित प्रस्तुति दी। मंगल संगान श्रीमती दीपमाला भंडारी आदि बहनों ने सुमधुर स्वर लहरी के साथ किया। साध्वी समत्वयशाजी ने मंच का कुशल संचालन करते हुए सृजन के महादेवता की अभिवंदना की।
स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई