चेन्नई. सईदापेट जैन स्थानक में विराजित ज्ञानमुनि ने कहा कहना तो सरल है लेकिन पालना बहुत कठिन है। जो पालते हैं वे पूजनीय व वंदनीय होते हैं। उनके गुण की पूजा करें। नवपद की आराधना के तहत आठवें चारित्र दिवस की आराधना का दिवस है। ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप, ज्ञान अर्थात जानना, दर्शन यानी मानना, चारित्र अर्थात पालना। आज चारित्र के पद की आराधना करनी है। मुनि ने कहा काया का नहीं माया का डर है। जो इस माया एवं काया की आसक्ति एवं मोह को छोड़ दे वही सच्चा साधु एवं चारित्रिक है। जो तन और मन को अपने वश में रखते हैं, इंद्रियों को सदा धर्म में लगाते हैं, मन को ज्ञान रस में रमाते हैं एवं स्वाद को जीते हैं वही साधु हैं। केवल कहना ही नहीं पालना भी जरूरी है। कहना तो सरल है लेकिन बहुत मुश्किल है करना। मुनि ने कहा मोक्ष में जाने के लिए ज्ञान-दर्शन के साथ ही चारित्रिक व तप भी जरूरी है। ये चारों की मोक्ष के साधन हैं। इनमें से एक भी कम हो तो मोक्ष नहीं मिलता। भले ही थोड़ी-थोड़ी ही आराधना हो लेकिन चारों की होनी चाहिए। इसलिए धीरे-धीरे चलें लेकिन मोक्ष की राह पर चलें तो एक दिन मोक्ष में अवश्य ही पहुंच जाएंगे। मंत्री राजेंद्र लूंकड़ ने बताया कि इस मौके पर लातूर में दिवंगत साध्वी प्रकाशकंवर को गुणानुवाद के साथ श्रद्धांजलि दी गई।
कहना सरल है, करना बहुत कठिन
By saadhak
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