चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा जब तक मनुष्य का पुण्य साथ देता है तब तक उसके द्वारा किया गया पाप छीप जाता है और कषायो का उदय नहीं होता।
लेकिन पाप और कषाय का घड़ा भरने के बाद पुण्य का उदय समाप्त हो जाता है। जब तक सांस है तब तक कषाय से बचा जा सकता है। लेकिन सांस निकलने के बाद चाह के भी कुछ नही किया जा सकता।
मनुष्य अगर एक पुण्य का काम कर पाप करेगा तो भी उसको पाप का भुकतान करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में लोग दुसरो के हक को छीनने की कोशिश करते है लेकिन याद रहे दुसरो का छीनना या उसकी कोशिश करना महापाप है। इसका भुगतान यही कर के जाना होगा।
जीवन को ऊंचाईयों पर ले जाने के लिए ऐसे कमों से मनुष्य को बचना चाहिए। कषाय जीवन के अंधकार है और अंधकार को जाने बिना प्रकाश की ओर बढऩे की कोशिश करना बेकार है। शुरुआत कहां से करनी है का पता नहीं होगा तो मंजिल तक पहुंच कर भी वापस आना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि मनुष्य की आत्मा जीव है और संसार की अन्य चीजें अजिव है। लेकिन मानव आत्मा को छोड़ कर सांसारिक अजीव चीजों के पीछे भाग रहा है। इसको जितना जल्द हो सके छोड़ देना चाहिए।
मानव भव मिलने के बाद आत्मा को परमात्मा बनाने के बजाय लोग संसार के झूठे लोभ के पीछे जाकर दुर्गती की ओर बढ रहे हैं। जीवन मे आगे जाना है तो कषाय को छोड़ दे। संचालन मंत्री देवीचंद बरलोटा ने किया